Friday, January 17, 2020

रक्त पिपासा ...

साहिब ! .. महिमामंडित करते हैं मिल कर
रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ...
होती है जब बुराई पर अच्छाई की जीत की बात
चाहे राम का तीर हो रावण की नाभि के पार
अर्जुन का तीर अपने ही सगों के सीने के पार
कृष्ण के कहने पर हुआ हो सैकड़ों नरसंहार
काली की कल्पना की हमने .. माना तारणहार
पकड़ाया खड्ग-खप्पर और पहनाया नरमुंड-हार
ख़ुदा को प्यारी है क़ुर्बानी कह-कह कर
बहा रहे वर्षों से अनगिनत निरीह का रक्तधार
साहिब ! .. महिमामंडित करते हैं मिल कर
रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ...

मसीहा बन ईसा ने जब चाहा बचाना बुरे को
चाहा मिटाना बुरे का केवल बुरा व्यवहार
रक्त पिपासा वाली भीड़ के हाथों सूली पर
चढ़ा कर हमने ही मारा था एक बेक़सूरवार
बातें जिसने चाही करनी अहिंसा की एक बार
ज़हर की प्याली पिला कर हमने उसे दिया मार
रक्त पिपासा को बना कर हम आदर्श हर बार
कहते रहे सदा- रक्त बहा कर ही होगी बुराई की हार
साहिब ! .. ऐसे में भला कब सोचते हैं हम कि...
रक्तपिपासु ही तो बनेगा निरन्तर अपना कर्णधार
साहिब ! .. महिमामंडित करते हैं मिल कर
रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ...

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" कल शनिवार 18 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. शत् बार नमन आपको और पुनः आभार आपका ...

    ReplyDelete
  3. सही कहा सुबोध भाई कि हम रक्त पिपासा को ही तो बारम्बार महिमामंडित कार्ते राह्ते हैं। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (१८ -०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- 4 (चर्चा अंक -३५८४) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    -अनीता सैनी

    ReplyDelete
  5. वाह बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  6. रक्तपिपासु ही तो बनेगा निरन्तर अपना कर्णधार
    बहुत सटीक सारगर्भित सृजन....
    अंगुलिमाल जैसे डाकू रक्तपिपासा छोड़ सन्त बन गये सिर्फ सन्तवाणी से....ऐसा कर्णधार हो तो बात बने...
    वाह!!!

    ReplyDelete