Sunday, July 14, 2019

अहसासों के झांझ

सुनो ना !
सोचा है आज
तुम तनिक अपने
मन की राई से
अहसासों के झांझ वाले
प्रेम का तेल
बहने दो ना जरा ...

बनाना चाहता हूँ
हमारे प्रेमसिक्त
तीते और नमकीन
नोंक-झोंक के
संतुलित मात्रा में
लुभावनी खुशबू से
तर-ब-तर मसाले
में लिपटा कर
बनाने की मनभावनी
प्रक्रिया वाले
चाहत की धूप में
सीझकर तैयार होते
चटपटे अचार
हमारे संबंधों के

जिसे सहेजना है
ताउम्र ... अनवरत
जीवन के फीकापन को
स्वाद देने के लिए
मेरी सोच के
मर्तबान में ...

सुनो ना !!! ....

14 comments:

  1. बहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति .... बहुत-बहुत बधाई ।

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  2. शुक्रिया आपका !☺

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार, जुलाई 16, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. अपने बहुमूल्य "पाँच लिंकों का आनंद" में मेरी साधारण रचना को शामिल कर के उसको महत्ता का अहसास कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी !☺

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  4. सोच के मर्तबान ऐसे गहरे एहसासों से भरते चलें ... जीवन बिताना आसान हो जायगा ...

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    1. सही सलाह के लिए शुक्रिया महाशय !☺

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  5. बहुत ही सुन्दर सृजन सर
    सादर

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    1. रचना की सराहना के लिए शुक्रिया महोदया !

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  6. बहुत सुन्दर सृजन ।

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    1. रचना की सराहना के लिए शुक्रिया आपका !

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  7. जीवन के फीकापन को
    स्वाद देने के लिए
    मेरी सोच के
    मर्तबान में ..
    क्या खूब कहा है निशब्द कर दिया :)

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    1. आपकी प्रतिक्रिया भी मुझे निःशब्द कर गई महाशय ! शुक्रिया आपका !

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  8. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर.... लाजवाब।

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    1. मन से शुक्रिया आपका ...

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