कल बीते तथाकथित "HUG DAY" के बहाने ...
(१)💝
फीका चाँद ...
गुनगुनी धूप
बसंती बयार
नर्म घास पर
चित लेटा मैं
निहारता
नीला आकाश
आधा चाँद
फीका चाँद ...
आधा-अधूरा
फीका भी
पर आँखों को
भाता .. सुहाता
सुहाना-सा
अधखिले फूल या
आधे-अधूरे
बिन गले मिले
कशिश भरे
प्यार की तरह ...
(२)💝
शीशी में चाँदनी ...
सनम ! ...
शक़ करने से पहले चाहत पर मेरी
सुनो ..
हो सके तो लेकर आना कभी भी
एक ..
छोटी-सी डिबिया में हवा वसंत की
और ..
छोटी-सी शीशी में भर कर चाँदनी ...
(१)💝
फीका चाँद ...
सार्वजनिक उद्यान
ढलती दुपहरीगुनगुनी धूप
बसंती बयार
नर्म घास पर
चित लेटा मैं
निहारता
नीला आकाश
आधा चाँद
फीका चाँद ...
आधा-अधूरा
फीका भी
पर आँखों को
भाता .. सुहाता
सुहाना-सा
अधखिले फूल या
आधे-अधूरे
बिन गले मिले
कशिश भरे
प्यार की तरह ...
(२)💝
शीशी में चाँदनी ...
सनम ! ...
शक़ करने से पहले चाहत पर मेरी
सुनो ..
हो सके तो लेकर आना कभी भी
एक ..
छोटी-सी डिबिया में हवा वसंत की
और ..
छोटी-सी शीशी में भर कर चाँदनी ...
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 13 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteनमन आपको यशोदा जी ! दिन-प्रतिदिन आपके आभार का भार बढ़ता ही जा रहा है ... आपकी निगहबानी भावुक कर जाती है ...
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 14 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
नमस्कार ! आभार आपका मेरी रचना को साझा के लिए चुनने हेतु ...
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय
ReplyDeleteजी! आभार आपका ...
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...।
ReplyDeleteजी! आभार आपका ...
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
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