आपको याद हो शायद .. 22 मई' 2020 को अपनी एक पुरानी रचना - "मिले फ़ुर्सत कभी तो ..." और उसकी प्रस्तुति का वीडियो भी मैं ने अपने इसी ब्लॉग - "बंजारा बस्ती के बाशिंदे" पर साझा किया था, जिसमें विस्तार से "ओपन मिक या ओपन माइक ( Open Mic/Mike )" के अपने अनुभवों को विस्तार देने की कोशिश भर की थी।
उन्हीं ओपन मिक के मंचों में से एक ओपन मिक के मंच का एक एप्प भी है- योरकोट एप्प (YourQuote App) - जो स्व-अभिव्यक्ति का एक ऐसा मंच है जिस पर हम अपनी परफ़ॉरमेंस (प्रदर्शन/प्रस्तुति) की ऑनलाइन ऑडियो और विडियो बनाकर साझा कर सकते हैं .. लगभग यूट्यूब की तरह।
यह मंच या सुविधा हर्ष स्नेहांशु और आशीष सिंह नामक दो IIT,Delhi के पूर्व युवा छात्रों द्वारा 01मई' 2017 को Yourquote Solutions Private Limited नामक आरम्भ की गई एक भारतीय स्टार्टअप (Startups) और गैर सरकारी संस्थान (Non-Govt. Company) के अंतर्गत काम करती है। हमारे लिए गर्व की बात है कि यह एक भारतीय एप्प है, जिसका मुख्यालय दक्षिणी दिल्ली में है।
ऑनलाइन के अलावा ये संस्थान रचनाकारों को समय-समय पर लगभग हर शहरों में ऑफलाइन मंच भी उपलब्ध कराती है, जहाँ रचनाकार अपनी रचना की प्रस्तुति देते हैं, और उस प्रस्तुति का वीडियो तैयार कर अपने एप्प पर डाल (upload) कर उसे प्रसारित भी करती है।
इसी मंच के तहत पटना में भी यदाकदा ओपन मिक होता रहता है। इसी के तहत 16.12.18 को पटना में होने वाले "YourQuote Open Mic" में मैंने अपनी एक रचना और कुछ चंद पंक्तियाँ भी पढ़ी थी, जिसे उनके द्वारा 05.02.19 को उनके एप्प पर डाला गया था। वैसे उस दिन की पढ़ी गई रचना युवाओं को लक्ष्य कर के लिखा गया था और जो कई चरणों में लिखे को जोड़ कर पूर्ण किया गया है, जिसका लिखित रूप और वीडियो, दोनों रूप में मैं अभी साझा कर रहा हूँ।
उन्हीं ओपन मिक के मंचों में से एक ओपन मिक के मंच का एक एप्प भी है- योरकोट एप्प (YourQuote App) - जो स्व-अभिव्यक्ति का एक ऐसा मंच है जिस पर हम अपनी परफ़ॉरमेंस (प्रदर्शन/प्रस्तुति) की ऑनलाइन ऑडियो और विडियो बनाकर साझा कर सकते हैं .. लगभग यूट्यूब की तरह।
यह मंच या सुविधा हर्ष स्नेहांशु और आशीष सिंह नामक दो IIT,Delhi के पूर्व युवा छात्रों द्वारा 01मई' 2017 को Yourquote Solutions Private Limited नामक आरम्भ की गई एक भारतीय स्टार्टअप (Startups) और गैर सरकारी संस्थान (Non-Govt. Company) के अंतर्गत काम करती है। हमारे लिए गर्व की बात है कि यह एक भारतीय एप्प है, जिसका मुख्यालय दक्षिणी दिल्ली में है।
ऑनलाइन के अलावा ये संस्थान रचनाकारों को समय-समय पर लगभग हर शहरों में ऑफलाइन मंच भी उपलब्ध कराती है, जहाँ रचनाकार अपनी रचना की प्रस्तुति देते हैं, और उस प्रस्तुति का वीडियो तैयार कर अपने एप्प पर डाल (upload) कर उसे प्रसारित भी करती है।
इसी मंच के तहत पटना में भी यदाकदा ओपन मिक होता रहता है। इसी के तहत 16.12.18 को पटना में होने वाले "YourQuote Open Mic" में मैंने अपनी एक रचना और कुछ चंद पंक्तियाँ भी पढ़ी थी, जिसे उनके द्वारा 05.02.19 को उनके एप्प पर डाला गया था। वैसे उस दिन की पढ़ी गई रचना युवाओं को लक्ष्य कर के लिखा गया था और जो कई चरणों में लिखे को जोड़ कर पूर्ण किया गया है, जिसका लिखित रूप और वीडियो, दोनों रूप में मैं अभी साझा कर रहा हूँ।
साथ ही कुछ चंद पंक्तियाँ भी जो प्रायः मंच-संचालन के लिए या बस यूँ ही ... भी लिखता रहता हूँ। इनमें से कुछ चंद पंक्तियाँ तो आज साझा किये गए वीडियो वाली प्रस्तुति में भी पढ़ा हूँ। तो आइये पहले शुरू करते हैं कुछ नयी-पुरानी चंद पंक्तियों से ... फिर आज की रचना/विचार- "तुम्हारे होठों पर" शब्दों में और फिर उसका वीडियो
भी ...
चंद पंक्तियाँ ...
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तमाम उम्र मैं हैरान, परेशान, कभी हलकान-सा, तो कभी, कहीं लहूलुहान बना रहा
मानो मुसलमानों के हाथों की गीता, तो कभी हिन्दूओं के हाथों का क़ुरआन बना रहा
तमाम उम्र मैं हैरान, परेशान, कभी हलकान-सा, तो कभी, कहीं लहूलुहान बना रहा
मानो मुसलमानों के हाथों की गीता, तो कभी हिन्दूओं के हाथों का क़ुरआन बना रहा
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अफ़वाह फैलायी है, गोरेपन के क्रीम वालों ने
वर्ना काला नमक, .. नमकीन होता नहीं क्या ?
अफ़वाह फैलायी है, गोरेपन के क्रीम वालों ने
वर्ना काला नमक, .. नमकीन होता नहीं क्या ?
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मुखौटों का जंगल, डर लगता है आजकल
मिलते हैं हर बार, बस ... चेहरे बदल-बदल
मुखौटों का जंगल, डर लगता है आजकल
मिलते हैं हर बार, बस ... चेहरे बदल-बदल
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बन्जारे हैं हम, वीराने में भी बस्ती तलाश लेते हैं
नजरों से आप दूर रहें, ख़्यालों में तो पास होते हैं
बन्जारे हैं हम, वीराने में भी बस्ती तलाश लेते हैं
नजरों से आप दूर रहें, ख़्यालों में तो पास होते हैं
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आज कुछ अभिमान-सा होने लगा है शायद
चलो .. अभी जरा श्मशान तक टहल आते हैं
आज कुछ अभिमान-सा होने लगा है शायद
चलो .. अभी जरा श्मशान तक टहल आते हैं
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रिहाई क्या ख़ाक हुई सनम, है ये भी तो एक सजा
कतर कर पर, कहती हो परिंदे को ... जा! उड़ जा।
रिहाई क्या ख़ाक हुई सनम, है ये भी तो एक सजा
कतर कर पर, कहती हो परिंदे को ... जा! उड़ जा।
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कई खेमों में बँट गए, धर्मग्रंथों को पढ़ते-पढ़ते, हमारे शहर के लोग
पत्थर दिल हो गए हैं, पत्थर को पूजते-पूजते, हमारे शहर के लोग
कई खेमों में बँट गए, धर्मग्रंथों को पढ़ते-पढ़ते, हमारे शहर के लोग
पत्थर दिल हो गए हैं, पत्थर को पूजते-पूजते, हमारे शहर के लोग
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अब आज की रचना/विचार शब्दों में .. इस रचना को पढ़ने के पहले अगर हमें रेशम के कीड़े का जीवन-चक्र का पता हो तो कुछ बातें ज्यादा छू पाएंगी। वैसे बच्चों या युवाओं को तो उनको उनके पाठ्यक्रम से मालूम है ही और आपको भी याद होना ही चाहिए और अगर ..नहीं तो अपने बाल या युवा संतान से एक बार जान लीजिए .. लार्वा, प्यूपा, कोकून, शहतूत, रेशम का कीड़ा वग़ैरह .. फिर आगे बढ़िए और ... अंत में वीडियो भी देखना मत भूलिए .. बस यूँ ही ...
तुम्हारे होठों पर ..
तुम्हारे होठों पर ..जिह्वा पर ..
पिघले थे ..
फैले थे .. कभी मेरे होंठ
पिघलते आइसक्रीम के तरह।
फैली थी मेरी बाँहें
शहतूत की शाखाओं की मानिंद
और फिरीं थीं ..
सरकी थीं ..
तुम्हारी उंगलियाँ और ..
होंठ भी जिन पर
आहिस्ता-आहिस्ता
रेशम के लार्वा की तरह ...
ज़िन्दगी की अपनी
तमाम उलझनें
अनसुलझे सवाल ..
सुलझाया ..
समझाया ..
करती थीं तुम
करके इस्तेमाल मुझे
बीजगणितीय सूत्रों* की तरह।
वैसे .. आई तो थी तुम ..
ज़िन्दगी में मेरी
सुबह का ताज़ा
अख़बार बन कर
फिर अचानक .. यकायक ..
छोड़ा क्यों मुझे ..
बीते कल के
बासी अख़बार के तरह।
जिसे सजाया था
कभी तुमने माथे पर
अपनी लगायी बिंदी की तरह ...
फिर क्यों अचानक .. यकायक ..
चिपका दिया
बाथरूम की दीवार पर
लावारिस बेकार की तरह।
बोलो ना ! ...
बोलती क्यों नहीं ? ..
कहीं तुम ..
लार्वा से कोकून तो नहीं बन गई ? ...
( * - बीजगणितीय सूत्रों = Algebraic Formulas. )
अब जब अपना इतना क़ीमती समय दिया ही है आपने मुझे तो .. थोड़ा वक्त इस वीडियो को भी दे दीजिए ना .. प्लीज .. बस यूँ ही ...
अफ़वाह फैलायी है, गोरेपन के क्रीम वालों ने
ReplyDeleteवर्ना काला नमक, .. नमकीन होता नहीं क्या?
बहुत सटिक कथन, सुबोध भाई।
जी ! आभार आपका ...
Deleteतमाम उम्र मैं हैरान, परेशान, कभी हलकान-सा, तो कभी, कहीं लहूलुहान बना रहा
ReplyDeleteमानो मुसलमानों के हाथों की गीता, तो कभी हिन्दूओं के हाथों का क़ुरआन बना रहा....
लाज़वाब!!!
जी ! आभार आपका ...
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी! आभार आपका ...
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