Sunday, April 17, 2022

चौपाई - जो समझ आयी .. बस यूँ ही ...


आराध्यों को अपने-अपने यूँ तो श्रद्धा सुमन,

करने के लिए अर्पण ज्ञानियों ने थी बतलायी।

श्रद्धा भूल बैठे हैं हम, सुमन ही याद रह पायी,

सदियों से सुमनों की तभी तो है शामत आयी .. शायद ...




वजह चिल्लाने की अज्ञात, ऊहापोह भी, क्या बहरे हैं "उनके वाले"?
प्रश्न अनुत्तरित जोह रहा बाट, आज भी कबीर का सैकड़ों सालों से।
खड़ा कर रहे अब तुम भी एक और प्रश्न, 'लाउडस्पीकर' बाँट-२ के,
कबीर भौंचक सोच रहे, बहरे हो गए साहिब ! अब "तुम्हारे वाले"?


16 comments:

  1. नमस्कार सर , 😊😊,अंधी दौड़ में सब शामिल हो रहे है ,कोई पीछे न राह जाए इसकी प्रतियोगिता चल रही है बाकी तो आप खुद समझदार हैँ सर , आप समझ सकते हैं।

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    1. शुभाशीष संग आभार तुम्हारा ...

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 18 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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  3. मित्र, यह याद रखिए कि सुल्तान सिकंदर लोदी ने खरी-खरी कहने वाले कबीर पर पागल हाथी दौड़ा दिया था.

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका .. जी ! ऐसे चलता रहा है, चल रहा है .. हमारे तथाकथित आराध्यों की तथाकथित अनुकम्पा से हमारा ये संसार .. सुकरात से कालबुर्गी तक, सफ़दर हाशमी से लेकर कई सारे गुमनाम तक या तो मौत के नींद सुला कर मौन करा दिए जाते हैं या फिर तारिक फ़तेह और तस्लीमा नसरीन जैसों को तड़ीपार कर दिया जाता है .. खरी-खरी बातों से लोगों की मानसिक acidity बढ़ जाती है .. शायद ...

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  4. वाह! सटीक लिखा है आपने

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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  5. हमारे वाले बहरे तो नहीं हुए लेकिन उनको यह बताना भी ज़रूरी हो गया है कि हर नाजायज़ मांग नहीं मानी जायेगी । खुद के आँख कान खुले रखने के लिए ऐसे कृत्य ज़रूरी हो रहे हैं ।

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका .. हमेशा मैं आपकी बुद्धिमता भरी भावनाओं की क़द्र करता हूँ .. आप की बात या सोच ये कह रही है कि अगर सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध से सम्बंधित क़ानून या अधिनियम पहले से ही बने हुए हैं और उसको तोड़ता हुआ अगर कोई तथाकथित भद्र आदमी सिगरेट पीता हुआ किसी चौक-मुहल्ले में बार-बार दिखता है, तो "उसको बताने के लिए" या "खुद के आँख-कान खुले रखने के लिए" खुद भी चौक-मुहल्ले में खड़े होकर चिलम फूँक कर अपना कलेजा जलाना भी "जरूरी कृत्य" हैं .. शायद ... है ना !???
      होना तो ये चाहिए कि पहले से ही उपलब्ध "पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत "ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000" के सहयोग से इन अपभ्रंश कुरीतियों को मिटाने का सार्थक प्रयास किया जाए, पुरज़ोर विरोध किया जाए .. बस यूँ ही ...

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  6. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-04-2022) को चर्चा मंच      "धर्म व्यापारी का तराजू बन गया है, उड़ने लगा है मेरा भी मन"   (चर्चा अंक-4406)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    --

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका .. अपने मंच पर अपनी आज की बहुरंगी प्रस्तुति में मेरी बतकही शामिल करने के लिए ...

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  7. बहुत सुंदर

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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  8. लाउडस्पीकर हो या भजन कीर्तन में माइक दोनों ही बन्द करें समानता में विद्रोह न होगा जातिवाद भी न होगा...अब बहरे ही सही उनके वाले चाहे हमारे वाले..
    वाह!!!!
    बहुत खूब...
    सुमन ही बचे श्रद्धा नदारद...।
    लाजवाब।

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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