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वेश्या
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Sunday, April 26, 2020
सुलगते हैं कई बदन
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चूल्हा और चकलाघर में अंतर नहीं ज्यादा बस फ़र्क इतना कि एक होता है ईंधन से रोशन और दूसरा हमारे जले सपने और जलते तन से पर दोनों ही जलत...
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Saturday, April 25, 2020
किनारा
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(1)@ :- जानाँ ! निर्बाध बहती जाना तुम बन कर उच्छृंखल नदी की बहती धारा ताउम्र निगहबान बनेगी बाँहें मेरी, हो जैसे नदी का दोनों किनारा । ...
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Friday, March 27, 2020
हे माँ भवानी ! ...
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हे माँ भवानी ! ... दूर करो जरा मन की मेरी हैरानी कि .. मिट्टी भला मेरे दर की आते हैं हर साल क्यों लेने कुम्हार .. तेरी मूर्त्ति गढ़ने वाले...
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Sunday, March 15, 2020
सच्चा दिलदार ...
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बना कर दहेज़ की रक़म को आधार करते हैं सब यूँ तो रिश्तों का व्यापार वधु-पक्ष ढूँढ़ते जो पाए अच्छी पगार वर खोजे नयन-नक़्श की तीखी धार मिलाते...
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