Sunday, August 3, 2025
कुछ बतकही बुग्यालों की दरी पर .. बस यूँ ही ...
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सर्वविदित है कि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है और इसी नियम के तहत ब्रह्माण्ड के अन्य पहलूओं की तरह हमारी भाषा एवं लेखन प्रणालियाँ भी विभिन्न...
Thursday, March 27, 2025
बिच्छू की चाय .. आय हाय ! -१
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आनंद बख़्शी जी के शब्दों को लता जी व उदित जी के युगल स्वरों में अपने संगीत से सजा कर "फ़िल्म दिल तो पागल है" के लिए उत्तम सिंह जी ...
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