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दहेज़
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Sunday, March 15, 2020
सच्चा दिलदार ...
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बना कर दहेज़ की रक़म को आधार करते हैं सब यूँ तो रिश्तों का व्यापार वधु-पक्ष ढूँढ़ते जो पाए अच्छी पगार वर खोजे नयन-नक़्श की तीखी धार मिलाते...
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Saturday, November 30, 2019
शहर सारा ख़ामोश क्यों है ?
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अक़्सर देखता हूँ शहर में हमारे "लगन" वाली रातों के .. प्रायः हर बारात में आतिशबाजियों के साथ-साथ में उड़ती हैं धज्जियाँ चार-चार ...
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Saturday, November 23, 2019
पूछ रही है बिटिया ...
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क ख ग घ ... ए बी सी डी .. सब तो आपने मुझ बिटिया को बहुत पढ़वाया ना पापा ? अब "एक्स-वाई" भी तो समझा दो ना पापा ! अगर भईया बना ...
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Thursday, October 31, 2019
सोना के सूप में ... (लघुकथा/कहानी).
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अभी-अभी घर आकर थाना के बड़ा बाबू अपनी धर्मपत्नी - 'टोनुआ की मम्मी' के हाथों की बनी चाय की चुस्की का आनन्द ले रहे हैं। अक़्सर हम स्था...
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