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Thursday, May 18, 2023
सादिक नहीं हैं हम .. शायद ...
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कहते हैं यहाँ के ज्ञानी सब लोग, कि व्यवहारिक नहीं हैं हम हाँ सच ही कहते होंगे शायद,क्योंकि औपचारिक नहीं हैं हम पता नहीं किया कभी, क्या भाव ब...
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Monday, March 13, 2023
पर नासपीटी ...
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टहनियों को स्मृतियों की तुम्हारी फेंकता हूँ कतर-कतर कर हर बार, पर नासपीटी और भी कई गुणा अतिरिक्त उछाह के साथ कर ही जाती हैं मुझे संलिप्त,...
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Thursday, March 9, 2023
बीते पलों-सी .. शायद ...
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सुनता था, अक़्सर .. लोगों से, कि .. होता है पाँचवा मौसम प्यार का .. शायद ... इसी .. पाँचवे मौसम की तरह तुम थीं आयीं जीवन में मेरे कभी .. बस य...
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Thursday, August 11, 2022
धुआँ-धुआँ ही सही .. बस यूँ ही ...
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(१) # तिल-तिल कर, तिल्लियों से भरी दियासलाई वाली डिब्बी अनुराग की सील भी जाए गर सीलन से दूरियों की, मन में अपने तब भी रखना सुलगाए पर, धुआँ-...
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Sunday, August 7, 2022
कभी तिमला, तो कभी किलमोड़ा ...
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देखता हूँ .. अक़्सर ... कम वक्त के लिए पहाड़ों पर आने वाले सैलानियों की मानिंद ही कम्बख़्त फलों का भी पहाड़ों के बाज़ारों में लगा रहता है सालों ...
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