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Saturday, April 25, 2020
किनारा
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(1)@ :- जानाँ ! निर्बाध बहती जाना तुम बन कर उच्छृंखल नदी की बहती धारा ताउम्र निगहबान बनेगी बाँहें मेरी, हो जैसे नदी का दोनों किनारा । ...
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Saturday, January 4, 2020
ये कैसी है दुआ ..
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अम्मा ! सुना है दुनिया वालों से हमेशा कि .. है तुम्हारी दुआ ओं में बहुत असर क्यों लगाती हो मुझे भला फिर तुम काजल का टीका कि .. लग जाएग...
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Saturday, December 28, 2019
ब्रह्माण्ड की बिसात में ...
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हाथों को उठाए किसी मिथक आस में बजाय ताकने के ऊपर आकाश में बस एक बार गणित में मानने जैसा मान के झांका जो नीचे पृथ्वी पर उस ब्रह्माण्ड से ...
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