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एक पोटली
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Monday, November 29, 2021
एक पोटली .. बस यूँ ही ...
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चहलक़दमियों की उंगलियों को थाम , जाना इस शरद पिछवाड़े घर के, उद्यान में भिनसार तुम .. बस यूँ ही ... लाना भर-भर अँजुरी में अपनी, रात भर के ब...
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