Wednesday, November 6, 2019

अपनी 'पोनी-टेल' में ...

सुनो ना !! ...
बस एक बार ...
आना कभी तुम
मौका मिले तो घर मेरे 
बेशक़ .. हो सके तो
साथ "उन्हें" भी लाना
दिखलाना है तुम्हें ...
चंद दस्तावेज़ों वाले
दराज़ में मेरे
आज भी पड़े .. मुस्कुराते
दो-दो टूक हुए मूंगफलियों के
वक्त के साथ नरम पड़ चुके
कुछ मासूम-से छिलके
थे तो यूँ तत्कालीन कुरमुरे
जो कभी हौले से थे दरके
तर्जनी और अँगूठे से बनी
तुम्हारी चुटकियों की
डोली पर हो सवार
पहुँच कर तुम्हारे
दांतों और होठों के
नम-नाज़ुक गिरफ़्त में ...

और ... चंद ..
इमलियों के
कत्थई बीज भी
जो निकले थे कभी
अपनी खट्टी-मीठी
मखमली परत से
उस इमली के
जिसे जी भर कर
जीभ और तालू के अपने
मखमली आग़ोश में
चूसने के बाद ...
स्वाद चखने के बाद
दोनों होठों के फ्रेम से
"फू" ... कर के उछाला था
टिकी हुई अपनी ठुड्डी पर
नावनुमा मेरी हथेली पर
जैसे फुदक कर कोई
गौरैया उतरती है
चुगने के लिए दाना
मुंडेर से आँगन में ...

और हाँ .. कॉलेज और कोचिंग से
बंक मार कर अक़्सर पटना के
संजय गांधी जैविक उद्यान में
डेटिंग की दोपहरियों के
साथ बिताए रूमानी पलों में
तुम्हारी मनपसंद चूसी गई
कुछ ऑरेंज कैंडियों के रैपर्स ..
कुछ चखे डेरी मिल्क के भी
रैपर्स और .. एल्युमीनियम-फॉयल भी हैं
साथ-साथ उसी दराज़ में  ...
बस .. एक कॉल या मिसकॉल भर
या फिर व्हाट्सएप्प ही
कर देना ना .. प्लीज !! ..
आने के कुछ घंटे पहले
ताकि सज-सवंर लुंगा
'फुसफुसा' लुंगा थोड़े डिओ भी
अपने झुर्रियाए बदन पर
और तुम भी तो आओगी ही ना ..
हर बार की तरह मेरी पसंद की
अपनी 'पोनी-टेल' में ... .. आँ ..!?

( N.B. - इस रचना का रचनाकार के अतीत से कोई लेना-देना नहीं है। यह रचना केवल कल्पना मात्र है। )

18 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (07-11-2019) को      "राह बहुत विकराल"   (चर्चा अंक- 3512)    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. हार्दिक आभार आपका मेरी रचना को चर्चा-मंच को साझा करने के लिए ...

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  2. उसके हाथ से स्पर्श हुई हर चीज को दराज में संभाल के रखा है

    और मोहब्बत को दिल में

    शब्दों में उम्मीद और आने का इंतजार


    वाह सर

    पधारे और बताओ क्या हो रहा है 

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  3. प्यार की गहराई को व्यक्त करती बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका ...

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 07 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. दिग्विजय जी ! नमन आपको और आभार आपका इस तरह मेरी रचना को मान देने के लिए ...

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  6. बहुत ही बेहतरीन रचना

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  7. हर शब्‍द में गहन भावों का समावेश ...बेहतरीन ।

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    1. जी! आभार है आपका रचना तक आने के लिए ...

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  8. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 24 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  9. वाह क्या बात बेहद खूबसूरत रचना।

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  10. जी! आभार आपका ...

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