Saturday, November 16, 2019

मैल हमारे मन के ...

ऐ हो धोबी चच्चा !
देखता हूँ आपको सुबह-सवेरे
नित इसी घाट पर
कई गन्दे कपड़ों के ढेर फ़िंचते
जोर से पटक-पटक कर
लकड़ी या पत्थर के पाट पर
डालते हैं फिर सूखने की ख़ातिर
एक ही अलगनी पर बार- बार
कर देते हैं आप हर बार
हर मैले-कुचैले कपड़े भी
बिल्कुल चकमक झकास
किसी डिटर्जेंट पाउडर के
चकमक विज्ञापन-से
है ना .. धोबी चच्चा !

मैं आऊँ ना आऊँ रोजाना
जाड़ा , गर्मी हो या बरसात
मिलते हैं सालों भर पर आप
होता हूँ हैरान पर
हर बार ये देख कर .. कि ...
मिट जाते है किस तरह भला
धर्म और जाति के भेद
उच्च और नीच के भेद
लिंग और वर्ण के भेद
अस्पताल के चादर और
शादी के शामियाने के भेद
"छुतका" के कपड़े और
शादी के हल्दी वाले कपडे के भेद
जब एक ही नाद में आप अपने
डुबोते हैं कपड़े सभी तरह के
पटकते भी तो हैं आप
बस एक ही पाट पर
और डालते भी हैं सूखने
गीले कपड़े झटक-झटक कर
जब एक ही अलगनी पर
है ना .. धोबी चच्चा !

काश ! .. ऐसा कोई नाद होता
काश ! .. ऐसा कोई पाट होता
जहाँ मिट जाते सारे
मैल हमारे मन के
हमारे इस समाज से
किसी भी तरह के भेद-भाव के
ना जाति .. ना धर्म ..
ना अमीर .. ना ग़रीब ..
ना उच्च .. ना नीच ..
ना नर .. ना नारी ..
सब होते एक समान
ना होता कोई दबा-सकुचाया
ना करता कोई भी इंसान
"मिथ्या" या "मिथक" अभिमान
फिर होकर निर्मल मन हमारे
सब एक ही वर्ग के हो जाते
है ना .. धोबी चच्चा !


18 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 17 नवम्बर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी! आभार आपका यशोदा जी ...

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  2. एकदम अलग कल्पना के माध्यम से बहुत सुंदर समाजोपयोगी सीख। बहुत अच्छी रचना।

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  3. वाह! हमारे समाज में ही ऐसे बहुत उदाहरण जिनसे हम प्रेरणा लेकर अपने परेशानियों का समाधान निकाल सकते हैं।
    और आपने इस रचना के माध्यम से साबित भी कर दिया। आपकी ये रचना प्रेरणादायी है।

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  4. बेहद खूबसूरत भाव

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  5. जी नमस्ते , आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 24 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ......
    साद
    ररेणु

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    1. जी! आभार आपका रेणु जी मेरी रचना/विचार को साझा करने के लिए ...

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  6. वाह!बहुत ही प्रेरणादायक रचना । काश ऐसा कोई घाट होता ।

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    1. जी ! आभार आपका रचना/विचार तक आने के लिए ...

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  7. हमारी सोच को भी धोबी चचा से धुला लेनी चाहिए ताकि धूल सके एक जैसी, जिसमे सबकी सोच से गंदकी वाले भाव भ जाए उस नदिया में।
    बहुत खूबसूरत रचना।

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    1. जी ! काश ! ऐसी कोई Laundry होती है ...

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  8. बहुत अच्छी रचना। पुनः पढ़ना अच्छा लगा।

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  9. मन का मैल धोन के लिए भी कोई धोबी चच्चा हो तो बात बने....
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब प्रेरणादायी सृजन।

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    1. जी ! आभार आपका .. काश !कोई चच्चा या चच्ची होतीं ऐसी ...

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