बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Thursday, March 16, 2023

ताने तिरपाल

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पोखरों में सूने-से दोनों कोटरों के, विरहिणी-सी दो नैनों की मछली। मिले शुष्क पोखरों में तो चैन उसे, तैरे खारे पानी में तब तड़पे पगली। ताने तिर...
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Monday, March 13, 2023

पर नासपीटी ...

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टहनियों को स्मृतियों की तुम्हारी फेंकता हूँ  कतर-कतर कर  हर बार, पर नासपीटी और भी कई गुणा  अतिरिक्त उछाह के साथ कर ही जाती हैं मुझे संलिप्त,...
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Thursday, March 9, 2023

बीते पलों-सी .. शायद ...

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सुनता था, अक़्सर .. लोगों से, कि .. होता है पाँचवा मौसम प्यार का .. शायद ... इसी .. पाँचवे मौसम की तरह तुम थीं आयीं जीवन में मेरे कभी .. बस य...
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Thursday, February 2, 2023

तनिक देखो तो यार ! ...

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हैं शहर के सार्वजनिक खुले मैदान में किसी,  निर्मित मंच पे मंचासीन एक प्रसिद्ध व्यक्ति । परे सुरक्षा घेरे के,जो है अर्धवृत्ताकार परिधि,  हैं ...
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Thursday, January 5, 2023

श्वेत प्रदर की तरह ...

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(1) आकांक्षी उन्मत्त कई  देख अचम्भा लगे हैं हर बार, यूँ ऋषिकेश में गंगा के तीर। निज प्यास बुझाए बेझिझक,  कोई उन्मुक्त पीकर गंगा नीर। मोक्ष क...
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Thursday, November 17, 2022

मन की झिझरियों से अक़्सर .. बस यूँ ही ...

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देवनागरी लिपि के वर्णमाला वाले जिस 'स' से कास का सफ़र समाप्त होता है, उसी 'स' से सप्तपर्णी की यात्रा का आरम्भ होता है। संयोगव...
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Thursday, August 25, 2022

दूब उदासियों की .. बस यूँ ही ...

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 (१) सोचों की ज़मीन पर धाँगती तुम्हारी हसीन यादों की चंद चहलकदमियाँ .. उगने ही कब देती हैं भला दूब उदासियों की .. गढ़ती रहती हैं वो तो अनवरत स...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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