बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Saturday, April 23, 2022

'मेन एट वर्क' ...

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जितनी ही ज्यादा स्वयं को  'वर्किंग लेडी' कह के जब-जब  आपने अपनी गर्दन है अकड़ाई ; उतनी ही ज्यादा उन्होंने ख़ुद को  'हाउस वाइफ...
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Friday, April 22, 2022

कुम्हलाहट तुम्हारे चेहरे की ...

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अक़्सर .. अनायास ... कुम्हला ही जाता है चेहरा अपना, जब कभी भी .. सोचता हूँ जानाँ, कुम्हलाहट तुम्हारे चेहरे की विरुद्ध हुई मन के तुम्हारे   बा...
Sunday, April 17, 2022

चौपाई - जो समझ आयी .. बस यूँ ही ...

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आराध्यों को अपने-अपने यूँ तो श्रद्धा सुमन, करने के लिए अर्पण ज्ञानियों ने थी बतलायी। श्रद्धा भूल बैठे हैं हम, सुमन ही याद रह पायी, सदियों से...
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Sunday, April 10, 2022

.. कोंचती है अंतर्मना अंतर्मन ...

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क़बीलों में बँटे आदिमानव सारे प्रागैतिहासिक कालखंड के, या फिर मानव हों तदुपरांत प्राचीन काल के। मध्यकालीन या आधुनिक इतिहास को  क्रमशः क़ाबिल ह...
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Wednesday, April 6, 2022

चंद चिप्पियाँ .. बस यूँ ही ...

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(१) रिवायतें तगड़ी ... कहीं मुंडे हुए सिर, कहीं जटाएँ, कहीं टिक्की,  कहीं टोपी, कहीं मुरेठे-साफे, तो कहीं पगड़ी। अफ़सोस, इंसानों को इंसानों से ...
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Sunday, April 3, 2022

बाद भी वो तवायफ़ ...

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रंगों या सुगंधों से फूलों को तौलना भला क्या, काश होता लेना फलों का ज़ायका ही जायज़ .. शायद ... यूँ मार्फ़त फूलों के होता मिलन बारहा अपना, पर डा...
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Wednesday, March 30, 2022

तनिक उम्मीद ...

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हो जाती हैं नम चश्म हमारी सुनकर बारहा, जब कभी करतूतें तुम्हारी चश्मदीद कहते हैं .. बस यूँ ही ... हैं हैवानियत की हदें पार करने की यूँ चर्चा,...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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