Saturday, July 24, 2021
'मॉडर्न आर्ट'-सी ...
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शहर की सरकारी या निजी पर लावारिस, कई-कई दीवारों के 'कैनवासों' पर, कतारों में उग आए कंडों पर अक़्सर .. कंडे थापती, मटमैली लिबास में,...
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Wednesday, July 21, 2021
वो हो जाने दूँ ? ...
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विधाता ! , तू कहे अगर तो, चंद सवाल तुझसे पूछूँ , या फिर .. बस यूँ ही ... जो होता है , वो हो जाने दूँ ? देकर एक बार कभी, किसी को तू जीवनदान, ...
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Saturday, July 17, 2021
एतवार के एतवार ये ...
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मेड़ों से सीलबंद खेतों के बर्तनों में ठहरे पानी के बीच, पनपते धान के बिचड़ों की तरह, आँखों के कोटरों की रुकी खारी नमी में भी उगा करती हैं...
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Wednesday, July 14, 2021
इक बगल में ...
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आना कभी तुम .. किसी शरद पूर्णिमा की, गुलाबी-सी हो कोई जब रूमानी, नशीली रात, लेने मेरे पास रेहन रखी अपनी साँसें सोंधी और अपनी धड़कनों की ...
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Tuesday, July 13, 2021
बाबिल का बाइबल ...
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इसी रचना/बतकही से :- "अभी हाल-फ़िलहाल में सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम) पर इसके कुछ बयान ने हम सभी का ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींच लिया। मन क...
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Sunday, July 11, 2021
अंट-संट ...
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भूमिका :- आती हैं पूर्णिमा के दिन .. हर महीने के, नियमित रूप से घर .. शकुंतला 'आँटी' के, नौ-साढ़े नौ बजे सुबह खाली पेट मुहल्ले भर की...
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Friday, July 9, 2021
अंगना तो हैं ...
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(१) मकोय :- तुम्हारी छोटी-छोटी बातें, खट्टी-मिटटी यादें, हैं ढकी, छुपी-सी, समय की सख़्त परत में .. शायद ... मानो .. लटके हों गुच्छ में, अप...
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