Friday, July 9, 2021
अंगना तो हैं ...
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(१) मकोय :- तुम्हारी छोटी-छोटी बातें, खट्टी-मिटटी यादें, हैं ढकी, छुपी-सी, समय की सख़्त परत में .. शायद ... मानो .. लटके हों गुच्छ में, अप...
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Wednesday, July 7, 2021
बेदी के बहाने बकैती ...
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50वाँ जन्मदिन मनाने के पहले ही :- यूँ तो हमारे सभ्य समाज में फ़िल्म जगत से संबंधित कई सारी अच्छी-बुरी मान्यताएं हैं और शायद वो कुछ हद तक सच ...
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Saturday, July 3, 2021
नयी जोड़ी से 'रिप्लेसमेंट' ...
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'रिप्लेसमेंट' ... तो है यूँ अंग्रेजी का एक शब्द मात्र, हिंदी में कहें जो अगर तो .. प्रतिस्थापन, जिनसे यूँ तो होता है बेहतर ही कभ...
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Thursday, July 1, 2021
मचलते तापमानों में ...
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(1) मानो इस संस्कारी बुद्धिजीवी समाज को आज तक भी किसी मैना बाई की प्रतीक्षा हो। (2) अपने ऊपर होने वाली हिंसा के विरोध में प्रदर्शन के लिए...
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Wednesday, June 30, 2021
रूमानी पलों में भी ...
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पसीने केवल मजदूरों के ही नहीं, अय्याशों के भी यों बहा करते हैं। हाथापाई ही तरबतर नहीं करती। रूमानी पलों में भी हम भींगते हैं। सताते तो हैं ल...
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Friday, June 25, 2021
क्यों हैं ये फ़ासले ? ...
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अक़्सर हम ... स्वयं को धर्मनिरपेक्ष बता, सब से यही उम्मीद करते। धर्म के भेदभाव सारे हम मिटाने की हैं बात करते। तो क्यों ना ... मिल कर कभी उर्...
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Tuesday, June 22, 2021
मन-मंजूषा ...
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खींच भी लो हाथ रिश्तों से अगर, मेरी ख़ातिर अपनी तर्जनी रखना। मायूसियों में मैं किसी उदास शाम, मुस्कुरा लूँ, इतनी गुदगुदी करना। जो किसी गीत के...
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