बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Saturday, July 3, 2021

नयी जोड़ी से 'रिप्लेसमेंट' ...

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'रिप्लेसमेंट' ... तो है यूँ अंग्रेजी का  एक शब्द मात्र, हिंदी में  कहें जो अगर तो .. प्रतिस्थापन, जिनसे यूँ तो होता है  बेहतर ही  कभ...
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Thursday, July 1, 2021

मचलते तापमानों में ...

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(1) मानो इस संस्कारी बुद्धिजीवी समाज को आज तक भी किसी मैना बाई की प्रतीक्षा हो। (2) अपने ऊपर होने वाली हिंसा के विरोध में प्रदर्शन के लिए...
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Wednesday, June 30, 2021

रूमानी पलों में भी ...

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पसीने केवल मजदूरों के ही नहीं, अय्याशों के भी यों बहा करते हैं। हाथापाई ही तरबतर नहीं करती। रूमानी पलों में भी हम भींगते हैं। सताते तो हैं ल...
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Friday, June 25, 2021

क्यों हैं ये फ़ासले ? ...

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अक़्सर हम ... स्वयं को धर्मनिरपेक्ष बता, सब से यही उम्मीद करते। धर्म के भेदभाव सारे हम मिटाने की हैं बात करते। तो क्यों ना ... मिल कर कभी उर्...
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Tuesday, June 22, 2021

मन-मंजूषा ...

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खींच भी लो हाथ रिश्तों से अगर, मेरी ख़ातिर अपनी तर्जनी रखना। मायूसियों में मैं किसी उदास शाम, मुस्कुरा लूँ, इतनी गुदगुदी करना। जो किसी गीत के...
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Monday, June 21, 2021

आवाज़ दे कहाँ है ...

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आज ही सुबह जब हमारे कॉलेज के जमाने के एक परिचित/मित्र, जो तब भी अच्छे तबलावादक थे और आज भी हैं, की "विश्व संगीत दिवस" की शुभकामना...
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Sunday, June 20, 2021

बहूँगा मैं धमनियों में तुम्हारी ...

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आज की रचना/सोच - "बहूँगा मैं धमनियों में तुम्हारी ..."   से पहले आदतन कुछ बतकही करने की ज़्यादती करने के लिए अग्रिम क्षमाप्रार्थी ...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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