बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Saturday, March 20, 2021

सच्ची-मुच्ची ... (21 मार्च के बहाने ...)

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सर्वविदित है कि 21 मार्च को पूरे विश्व में "विश्व कविता दिवस" (World Poetry Day) के साथ-साथ ही नस्लीय भेदभाव को मिटाने के लिए इस क...
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Saturday, March 13, 2021

सरस्वती हमारी बेकली की ...

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जानाँ ! .. उदास, अकेली,  विकल रहो तुम  जब कभी भी,  बस .. तब तुम मान लिया करो .. कि .. हाँ .. कुछ भी मानने की रही नहीं है कोई मनाही कभी भी .....
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Wednesday, March 10, 2021

अन्योन्याश्रय रिश्ते ...

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दुबकी जड़ें मिट्टियों में कुहंकती तो नहीं कभी, बल्कि रहती हैं सींचती दूब हो या बरगद कोई। ना ग़म होने का मिट्टी में, ना ही शिकायत कोई कि बेलें ...
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Saturday, March 6, 2021

मन में ठौर / कतरनें ...

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कई बार अगर हमारे जीवन में सम्पूर्णता, परिपूर्णता या संतृप्ति ना हो तो प्रायः हम कतरनों के सहारे भी जी ही लेते हैं .. मसलन- कई बार या अक़्सर ह...
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Wednesday, March 3, 2021

झुर्रीदार गालों पर ...

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गया अपने ससुराल  एक बार जब  बेचारा एक बकलोल*। था वहाँ शादी के मौके पर हँसी-ठिठोली का माहौल। रस्म-ओ-रिवाज़ और  खाने-पीने के संग-साथ , किए हुए...
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Friday, February 26, 2021

कुरकुरी तीसीऔड़ियाँ / रुमानियत की नमी ...

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जानाँ ! ... तीसी मेरी चाहत की  और दाल तुम्हारी हामी की मिलजुल कर संग-संग , समय के सिल-बट्टे पर  दरदरे पीसे हुए , रंगे एक रंग , सपनों की परतो...
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Wednesday, February 24, 2021

तसलवा तोर कि मोर - (भाग-२) ... {दो भागों में}.

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कोई रंगकर्मी जब अपने नाम से कम और अपने जिए गए पात्र के नाम से लोगों में ज्यादा जाना-पहचाना या सम्बोधित किया जाने लगता है तो उसे उसके अभिनय क...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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