Wednesday, March 3, 2021

झुर्रीदार गालों पर ...

गया अपने ससुराल 

एक बार जब 

बेचारा एक बकलोल*।

था वहाँ शादी के मौके पर

हँसी-ठिठोली का माहौल।

रस्म-ओ-रिवाज़ और 

खाने-पीने के संग-साथ ,

किए हुए तय पैमाने समाज के

रिश्ते करने वाले मज़ाक के

आधार पर मग्न थे सारे 

एक-दूसरे के उड़ाने में मखौल।


बोलीं बकलोल को 

तभी वहाँ मौजूद 

उसकी एक बड़ी सरहज*

मुस्कुराते हुए बहुत ही सहज

कि - " आँय मेहमान* !! .. 

मुझ बुढ़ियों को भला 

अब पूछता कौन है ? ..

अब तो आपको भी दिखती हैं 

जवनकी* ही महज़। "

था रहने वाला बकलोल भला 

कब चुप इस के एवज़ ?


दौड़ा-दौड़ा ख़ुद ही गया और 

ले आया टोकरी से फलों की ,

एक अँगूर और ..

एक-दो किशमिश भी

खाना बना रहे भोज वाले

हलवाई के पास से।

फिर बोला बहुत ही उल्लास से

-"भाभी .. कौन 'स्टुपिड'* भला

आपको कम आँकता है ? 

पता नहीं क्या आपको कि बाज़ार में

झुर्रिदार किशमिश मँहगी बिकती है 

और रसीला अँगूर हमेशा सस्ता है !"


फिर क्या था ...

भाभी यानि सरहज के

रूज़ पुते झुर्रीदार गालों पर

तैरने लगीं थी सुर्खियां।

अपनी रंगी हुई ज़ुल्फ़ों पर

फिर फिराने लगीं वह अपनी उंगलियाँ।

उस 'हॉल'* के मौजूदा हाल में

सारी मौज़ूद वयस्क-प्रौढ़ स्त्रियाँ

महमहा उठीं अनायास

दबी-दबी मुस्कुराहटों से

मानो बन गयी हों नन्हीं-२ तितलियाँ .. बस यूँ ही ...

【२* सरहज = सलहज = साला की पत्नी = पत्नी की भाभी या भौजाई।】

【३* मेहमान = उत्तर भारत में घर के दामाद को इस सम्बोधन से सम्बोधित करते हैं।】

【४* जवनकी = बिहार (बिहार+झारखण्ड/पुराना बिहार) - उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश+उत्तराखण्ड/पुराना उत्तर प्रदेश) में स्थानीय बोली के तहत युवती/युवा स्त्री को कहते हैं।】

【५* स्टुपिड = Stupid.】

【६* हॉल = Hall.】

【【१* बकलोल = मूर्ख। = ( वह बकलोल मैं ही था  .. शायद ... ).】】●





18 comments:

  1. Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... :)

      Delete
  2. Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... :)

      Delete
  3. यही मौज मस्ती रिश्तों को जीवंत किये रहती है ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... :)

      Delete
  4. बहुत सुंदर हंसी मजाक।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... :)

      Delete
  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04.03.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... :)

      Delete
  6. बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... :)

      Delete
  7. बकलोल की बकलोली काम आ गई

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... :)

      Delete
  8. इन हल्के-फुल्के रंगों से रिश्ते इंद्रधनुषी आभा बिखेरकर जीवन सहज बनाते हैं।
    आपकी रचनाएँ अलग से दिखलाई पड़ती है।
    सकारात्मकता बनी रहे।

    सादर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... :)

      Delete
  9. वाह
    बहुत सुंदर रचना

    आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
    आभार

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... :)
      जी ! जरूर ...

      Delete