गया अपने ससुराल
एक बार जब
बेचारा एक बकलोल*।
था वहाँ शादी के मौके पर
हँसी-ठिठोली का माहौल।
रस्म-ओ-रिवाज़ और
खाने-पीने के संग-साथ ,
किए हुए तय पैमाने समाज के
रिश्ते करने वाले मज़ाक के
आधार पर मग्न थे सारे
एक-दूसरे के उड़ाने में मखौल।
बोलीं बकलोल को
तभी वहाँ मौजूद
उसकी एक बड़ी सरहज*
मुस्कुराते हुए बहुत ही सहज
कि - " आँय मेहमान* !! ..
मुझ बुढ़ियों को भला
अब पूछता कौन है ? ..
अब तो आपको भी दिखती हैं
जवनकी* ही महज़। "
था रहने वाला बकलोल भला
कब चुप इस के एवज़ ?
दौड़ा-दौड़ा ख़ुद ही गया और
ले आया टोकरी से फलों की ,
एक अँगूर और ..
एक-दो किशमिश भी
खाना बना रहे भोज वाले
हलवाई के पास से।
फिर बोला बहुत ही उल्लास से
-"भाभी .. कौन 'स्टुपिड'* भला
आपको कम आँकता है ?
पता नहीं क्या आपको कि बाज़ार में
झुर्रिदार किशमिश मँहगी बिकती है
और रसीला अँगूर हमेशा सस्ता है !"
फिर क्या था ...
भाभी यानि सरहज के
रूज़ पुते झुर्रीदार गालों पर
तैरने लगीं थी सुर्खियां।
अपनी रंगी हुई ज़ुल्फ़ों पर
फिर फिराने लगीं वह अपनी उंगलियाँ।
उस 'हॉल'* के मौजूदा हाल में
सारी मौज़ूद वयस्क-प्रौढ़ स्त्रियाँ
महमहा उठीं अनायास
दबी-दबी मुस्कुराहटों से
मानो बन गयी हों नन्हीं-२ तितलियाँ .. बस यूँ ही ...
【२* सरहज = सलहज = साला की पत्नी = पत्नी की भाभी या भौजाई।】
【३* मेहमान = उत्तर भारत में घर के दामाद को इस सम्बोधन से सम्बोधित करते हैं।】
【४* जवनकी = बिहार (बिहार+झारखण्ड/पुराना बिहार) - उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश+उत्तराखण्ड/पुराना उत्तर प्रदेश) में स्थानीय बोली के तहत युवती/युवा स्त्री को कहते हैं।】
【५* स्टुपिड = Stupid.】
【६* हॉल = Hall.】
【【१* बकलोल = मूर्ख। = ( वह बकलोल मैं ही था .. शायद ... ).】】●
लाजवाब :)
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ... :)
Deleteवाह बहुत खूब ......
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ... :)
Deleteयही मौज मस्ती रिश्तों को जीवंत किये रहती है ।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ... :)
Deleteबहुत सुंदर हंसी मजाक।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ... :)
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04.03.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
जी ! नमन संग आभार आपका ... :)
Deleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ... :)
Deleteबकलोल की बकलोली काम आ गई
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ... :)
Deleteइन हल्के-फुल्के रंगों से रिश्ते इंद्रधनुषी आभा बिखेरकर जीवन सहज बनाते हैं।
ReplyDeleteआपकी रचनाएँ अलग से दिखलाई पड़ती है।
सकारात्मकता बनी रहे।
सादर।
जी ! नमन संग आभार आपका ... :)
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
आभार
जी ! नमन संग आभार आपका ... :)
Deleteजी ! जरूर ...