Saturday, March 13, 2021

सरस्वती हमारी बेकली की ...

जानाँ ! ..

उदास, अकेली, 

विकल रहो तुम 

जब कभी भी, 

बस .. तब तुम

मान लिया करो .. कि ..

हाँ .. कुछ भी मानने की

रही नहीं है कोई मनाही

कभी भी .. कहीं भी।

वैसे होता भी तो है

मानना मन से ही और ..

मन पर किसी के भी

जड़े नहीं जाते ताले कभी भी।

वर्ना ना जाने कितने ही मन  

रह जाते कुँवारे ही।

और फिर .. मान कर ही तो

हर छोटे-बड़े सवाल,

हर छोटी-बड़ी समस्याएं सदियों से 

हल होती रहीं हैं गणित की .. बस यूँ ही ...


मान लेने भर से ही तो

दिखते हैं संसार भर को पेड़, 

पत्थर, नदी या चाँद-सूरज में भी 

उनके भगवान ही।

माना कि .. है अपना अगर 

मिलना नहीं नसीब,

तो बस मान लो हम-तुम हैं

पास-पास .. हैं बिलकुल क़रीब।

मीरा ने भी तो बस 

माना ही तो था,

पास उनके भी भला 

कहाँ कान्हा था !?

तो बस मान लो .. और आओ !

आ के बैठ जाओ पास मेरे,

टहपोर चाँदनी के चँदोवे तले

आग़ोश में मेरे किसी झील के किनारे।

होगा जहाँ हमारी-तुम्हारी साँसों का संगम,

जिस संगम में लुप्त हो जाएगी 

सरस्वती हमारी बेकली की .. बस यूँ ही ...






14 comments:

  1. माना कि .. है अपना अगर

    मिलना नहीं नसीब,

    तो बस मान लो हम-तुम हैं

    पास-पास .. हैं बिलकुल क़रीब।
    सुबोध भाई, सच में सिर्फ मान लेने से भी दिल को बहुत सकून मिलता है। सुंदर रचना।

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...:)

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 13 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (14-03-2021) को    "योगदान जिनका नहीं, माँगे वही हिसाब" (चर्चा अंक-4005)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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  5. मान लो ....बस अब तो मान ही लो एक शेर आधा अधूरा से याद आ रहा है
    ज़रा गर्दन झुकाए देख ली तस्वीर यार । जैसा ही कुछ ।
    साथ ज़रूरी नहीं बस मान लें तो साथ हो गया
    सुंदर कल्पना

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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  7. बहुत सुन्दर

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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