बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Saturday, March 6, 2021

मन में ठौर / कतरनें ...

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कई बार अगर हमारे जीवन में सम्पूर्णता, परिपूर्णता या संतृप्ति ना हो तो प्रायः हम कतरनों के सहारे भी जी ही लेते हैं .. मसलन- कई बार या अक़्सर ह...
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Wednesday, March 3, 2021

झुर्रीदार गालों पर ...

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गया अपने ससुराल  एक बार जब  बेचारा एक बकलोल*। था वहाँ शादी के मौके पर हँसी-ठिठोली का माहौल। रस्म-ओ-रिवाज़ और  खाने-पीने के संग-साथ , किए हुए...
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Friday, February 26, 2021

कुरकुरी तीसीऔड़ियाँ / रुमानियत की नमी ...

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जानाँ ! ... तीसी मेरी चाहत की  और दाल तुम्हारी हामी की मिलजुल कर संग-संग , समय के सिल-बट्टे पर  दरदरे पीसे हुए , रंगे एक रंग , सपनों की परतो...
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Wednesday, February 24, 2021

तसलवा तोर कि मोर - (भाग-२) ... {दो भागों में}.

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कोई रंगकर्मी जब अपने नाम से कम और अपने जिए गए पात्र के नाम से लोगों में ज्यादा जाना-पहचाना या सम्बोधित किया जाने लगता है तो उसे उसके अभिनय क...
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Saturday, February 20, 2021

मन का व्याकरण ...

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शुक्र है कि  होता नहीं कोई व्याकरण और ना ही  होती है  कोई वर्तनी , भाषा में नयनों वाली दो प्रेमियों की  वर्ना ..  सुधारने में ही व्याकरण  और...
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Wednesday, February 17, 2021

तसलवा तोर कि मोर - (भाग-१) ... {दो भागों में}.

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वैसे तो सर्वविदित है कि बीसवीं सदी की शुरुआती दौर में ही आमजन के लिए रेडियो-प्रसारण की शुरुआत न्यूयार्क के बाद हमारे परतंत्र भारत में भी हो ...
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Saturday, February 13, 2021

वो बचकानी बातें ...

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दस पैसे का  एक सिक्का जेबख़र्च में  मिलने वाला रोजाना कभी, किसी रोज रोप आते थे बचपन में चुपके से  आँगन के तुलसी चौरे में  सिक्कों के  पेड़ उग ...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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