शुक्र है कि
होता नहीं
कोई व्याकरण
और ना ही
होती है
कोई वर्तनी ,
भाषा में
नयनों वाली
दो प्रेमियों की
वर्ना ..
सुधारने में ही
व्याकरण
और वर्तनी ,
हो जाता
ग़ुम प्यार कहीं .. शायद ...
कभी भी
कारण भूख के
ठुनकते ही
किसी भी
अबोध के ,
कराने में फ़ौरन
स्तनपान या
सामान्य
दुग्धपान में भी
भला कहाँ
होता है
कोई व्याकरण
या फिर
होती है
कोई भी वर्तनी .. शायद ...
व्याकरण और
वर्तनी का
सलीका
होता नहीं
कोई भी ,
टुटपुँजिया-सा
सड़क छाप
किसी आवारा
कुत्ते में या
विदेशी मँहगी
नस्लों वाले
पालतू कुत्ते में भी ,
तब भी तो होती नहीं
कम तनिक भी
वफ़ादारी उनकी .. शायद ...
काश ! कि ..
गढ़ पाते जो
कभी हम
व्याकरण
मन का कोई
और पाते
कभी जो
सुधार हम
वर्तनी भी
वफ़ादारी की ,
किसी ज़ुमले या
जुबान की जगह ,
तो मिट ही जाता
ज़ख़ीरा ज़ुल्मों का
जहान में कहीं .. शायद ...
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज शनिवार 20 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteसच है जिंदगी व्याकरण से नहीं चलती '
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteबहुत सुन्दर व अलहदा सृजन।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-02-2021) को "शीतल झरना झरे प्रीत का" (चर्चा अंक- 3985) पर भी होगी।
ReplyDelete--
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteसहज और सरल जिंदगी में व्याकरण कब लिए कोई जगह नहीं होती। बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteवाह , सहज जीवन मे किसी व्याकरण या वर्तनी की ज़रूरत नहीं । अद्भुत विचार ।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
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