Saturday, April 25, 2020
किनारा
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(1)@ :- जानाँ ! निर्बाध बहती जाना तुम बन कर उच्छृंखल नदी की बहती धारा ताउम्र निगहबान बनेगी बाँहें मेरी, हो जैसे नदी का दोनों किनारा । ...
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Friday, April 24, 2020
भला क्यों ?
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लॉकडाउन की इस अवधि में खंगाले गए धूल फांकते कुछ पुराने पीले पन्नों से :- आपादमस्तक बेचारगी के दलदल में ख़ुशी का हर गीत चमत्कार-सा लगे । ...
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Thursday, April 23, 2020
मुखौटों का जंगल
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लॉकडाउन की इस अवधि में खंगाले गए धूल फांकते कुछ पुराने पीले पन्नों से :- मुखौटों का है जंगल यहाँ, यहाँ लगता हर शख़्स शिकारी ...
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Wednesday, April 22, 2020
झूठे वादे अक़्सर ...
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लॉकडाउन की इस अवधि में खंगाले गए धूल फांकते कुछ पुराने पीले पन्नों से :- (1) :- सदी को पल में रौंदने वालों ! .. है सवेरा एक .. शाम एक...
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Tuesday, April 21, 2020
मन की मीन ... - चन्द पंक्तियाँ - (२६) - बस यूँ ही ...
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(1) बस यूँ ही ... अक़्सर हम आँसूओं की लड़ियों से हथेलियों पर कुछ लकीर बनाते हैं आहों की कतरनों से भर कर रंग जिनमें उनकी ही तस्वीर सजाते...
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Saturday, April 18, 2020
मरूस्थल की कोख़ में ...
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तय करता हुआ, डग भरता हुआ जब अपने जीवन का सफ़र बचपन के चौखट से निकल चला मैं किशोरावस्था की डगर तुम्हारे प्यार की गंग-धार कुछ लम्हें ही सही ...
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Thursday, April 16, 2020
कभी सलमा की साँसों में ...
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बस यूँ ही ... हवा के लिए मन में उठे कुछ अनसुलझे सवाल .. मन को मंथित करते कुछ सवाल .. जिनके उत्तर की तलाश के उपकर्म को आगे बढ़ाते हुुए .. ...
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