Friday, January 31, 2020
कुछ नमी-सी ...
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बयार आज अचानक कुछ-कुछ.. चिरायंध गंध से है क्यों बोझिल शायद गाँव के हरिजन टोले में फिर लाए गए किसी श्मशान से अधजले बाँस में बाँध कर पैर ...
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Sunday, January 26, 2020
गणतंत्र दिवस के बहाने - चन्द पंक्तियाँ - (२२) - बस यूँ ही ...
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*(१)* - अपनी अभिव्यक्ति की छटपटाहट को शब्दों में बाँधने के लिए आज 26 जनवरी के ब्रम्हमुहूर्त में उनींदापन में एक लम्बी जम्हाई लेता कागज़...
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Saturday, January 25, 2020
कर ली अग्नि चुटकी में ...
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यार माचिस ! .. " कर लो दुनिया मुट्ठी में " अम्बानी जी के जोश भरे नारे से एक कदम तुमने तो बढ़ कर आगे कर ली अग्नि चुटकी में पू...
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Friday, January 24, 2020
काला पानी की काली स्याही
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अम्मा की लोरियों वाले बचपन के हमारे चन्दा मामा दूर के ... जो पकाते थे पुए गुड़ के यूँ तो सदा ही रहे वे पुए ख्याली पुलाव जैसे ही बने हु...
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Sunday, January 19, 2020
भाषा "स्पर्श" की ...
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सिन्दूर मिले सफेद दूध-सी रंगत लिए चेहरे चाहिए तुम्हें जिन पर मद भरी बादामी आंखें सूतवा नाक .. हो तराशी हुई भौं ऊपर जिनके कोमल रसीले हो...
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Friday, January 17, 2020
रक्त पिपासा ...
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साहिब ! .. महिमामंडित करते हैं मिल कर रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ... होती है जब बुराई पर अच्छाई की जीत की बात चाहे राम का तीर ...
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Monday, January 13, 2020
निगहबान मांझा ... - चन्द पंक्तियाँ - (२१) - बस यूँ ही ...
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(१)* ठिकाना पाया इस दरवेश ने तुम्हारे ख़्यालों के परिवेश में ... (२)* माना .. घने कोहरे हैं फासले के बहुत दरमियां हमारे-तुम्हारे ....
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