सिन्दूर मिले सफेद दूध-सी रंगत लिए चेहरे
चाहिए तुम्हें जिन पर मद भरी बादामी आंखें
सूतवा नाक .. हो तराशी हुई भौं ऊपर जिनके
कोमल रसीले होठ हों गुलाब की पंखुड़ी जैसे
परिभाषा सुन्दरता की तुम सब समझो साहिब
जन्मजात सूर हम केवल भाषा "स्पर्श" की जाने
अंधा बांटे भी तो भला जग में क्योंकर बांटे
अंतर मापदण्ड के सुन्दरता वाले सारे के सारे ...
हैं भगवा में दिखते सनातनी हिन्दू तुम्हें
बुत दिखता है, बुतपरस्ती भी, तभी तो
मोमिन और किसी को काफ़िर हो कहते
भेद कर इमारतों में मंदिर-मस्जिद हो कहते
रंगों का भेद तो तुम सब जानो साहिब !
हम तो बस केवल "नमी" कोहरे की जाने
अंधा बांटे भी तो भला जग में क्योंकर बांटे
रंगों के अंतर भला इंद्रधनुष के सारे के सारे ...
चाहिए तुम्हें जिन पर मद भरी बादामी आंखें
सूतवा नाक .. हो तराशी हुई भौं ऊपर जिनके
कोमल रसीले होठ हों गुलाब की पंखुड़ी जैसे
परिभाषा सुन्दरता की तुम सब समझो साहिब
जन्मजात सूर हम केवल भाषा "स्पर्श" की जाने
अंधा बांटे भी तो भला जग में क्योंकर बांटे
अंतर मापदण्ड के सुन्दरता वाले सारे के सारे ...
हैं भगवा में दिखते सनातनी हिन्दू तुम्हें
बुत दिखता है, बुतपरस्ती भी, तभी तो
मोमिन और किसी को काफ़िर हो कहते
भेद कर इमारतों में मंदिर-मस्जिद हो कहते
रंगों का भेद तो तुम सब जानो साहिब !
हम तो बस केवल "नमी" कोहरे की जाने
अंधा बांटे भी तो भला जग में क्योंकर बांटे
रंगों के अंतर भला इंद्रधनुष के सारे के सारे ...
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 19 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteनमन आपको और आभार आपका ...
Deleteजन्मजात सूर हम केवल भाषा "स्पर्श" की जाने
ReplyDeleteअंधा बांटे भी तो भला जग में क्योंकर बांटे
सुन्दर अभिलेख, सुन्दर संदेश...
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय सुबोध जी।
नमस्कार पुरुषोत्तम जी ! आभार आपका ...
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२० जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी आभार आपका ! ...
Deleteसुंदर सृजन ,सादर नमन
ReplyDeleteजी ! आभार आपका .. नमन आपको भी ...
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