Saturday, November 30, 2019
शहर सारा ख़ामोश क्यों है ?
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अक़्सर देखता हूँ शहर में हमारे "लगन" वाली रातों के .. प्रायः हर बारात में आतिशबाजियों के साथ-साथ में उड़ती हैं धज्जियाँ चार-चार ...
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Friday, November 29, 2019
अम्मा !...
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अम्मा ! अँजुरी में तौल-तौल डालती हो जब तुम आटे में पानी उचित स्रष्टा कुम्हार ने मानो हो जैसे सानी मिट्टी संतुलित तब-तब तुम तो कुशल कुम...
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Thursday, November 28, 2019
शहीद-स्मारक
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तुम्हारे सीनों को जब फिरंगियों की बेधती निर्दयी गोलियाँ बना गई होगी बेजान लाशें तुम्हें .. बेअसर रही होगी तब भी भले ही मन्दिरों की ...
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Monday, November 25, 2019
एक विधवा पनपती है ... (आलेख).
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एक ऐतिहासिक क़ब्रिस्तान के बहाने ... जीत का ज़श्न हो कहीं या हार का मातम कहीं .. कभी भी अपनों की हो या दुश्मनों की लाश तो लाश होती है ह...
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Saturday, November 23, 2019
पूछ रही है बिटिया ...
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क ख ग घ ... ए बी सी डी .. सब तो आपने मुझ बिटिया को बहुत पढ़वाया ना पापा ? अब "एक्स-वाई" भी तो समझा दो ना पापा ! अगर भईया बना ...
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Friday, November 22, 2019
और 'बाइनाक्युलर' भी ...
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मुहल्ले की गलियों में या फिर शहर के चौक-चौराहों पर मंदिरों में .. पूजा-पंडालों में मेलों में .. मॉलों में भी तो अक़्सर टपोरियों .. लुच्च...
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Thursday, November 21, 2019
"फ़िरोज़ खान" के बहाने ...
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आज के ग्लोबल दुनिया में किसी भाषा या किसी पहनावा या फिर किसी व्यंजन विशेष पर किसी विशेष जाति, उपजाति या धर्म विशेष वाले का आधिपत्य जैसी सोच...
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