Friday, September 27, 2019
चन्द पंक्तियाँ - (१८ ) - "मन के दूरबीन से" - बस यूँ ही ...
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(१)* माना ... इन दिनों छीन लिया है तुम्हारे सिरहाने से मेरी बाँहों का तकिया मेरे 'फ्रोजेन शोल्डर' ने ... बहरहाल आओ मन बहल...
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Sunday, September 22, 2019
एक काफ़िर का सजदा ...
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मौला भी तू, रब भी तू अल्लाह भी तू ही, तू ही है ख़ुदा करना जो चाहूँ सजदा तुम्हें तो ज़माने भर से है सुना हम काफ़िरों को है सजदा मना अब ब...
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Friday, September 20, 2019
चन्द पंक्तियाँ - (१७) - "चहलकदमियाँ"- बस यूँ ही ...
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(१):- बस रात भर मोहताज़ है दरबे का ये फ़ाख़्ता वर्ना दिन में बारहा अनगिनत मुंडेरों और छतों पर चहलकदमियाँ करने से कौन रोक पाता हैं ...
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Thursday, September 19, 2019
मन के मेरे 'स्पेक्ट्रम' के
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जानती हूँ मैं तुमको स्वयं से भी ज्यादा अब भले ही तुम मानो या ना मानो पर मैं तो मानती हूँ तुम जानो या ना जानो पर मैं तो ये जानती हूँ क...
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Wednesday, September 18, 2019
चन्द पंक्तियाँ - (16) - "मादा जुगनूओं के" - बस यूँ ही ...
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(1)*** यूँ तो सुना है ... क़ुदरत की एक नाइंसाफी कि ... मादा जुगनूओं के पंख नहीं होते ये रेंगतीं हैं बस उड़ नहीं सकती नर जुगनूओं की ...
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Tuesday, September 17, 2019
नायाब छेनी-हथौड़ी
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सुबह-सवेरे आज सोचा नहा-धोकर 'लाइफबॉय' से कुछ नर-मुंड माल-सी फूलों की माला ले प्रभु विश्वकर्मा (?) आपकी मूर्तियों पर चढ़ाऊँ और अप...
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चन्द पंक्तियाँ - (१५) - "मौन की मिट्टी" - बस यूँ ही ...
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@(१) यूँ तो पता है मुझे ... तुम्हें पसंद है हरसिंगार बहुत पर हर शाम बैठते हैं हम-तुम झुरमुटों के पास बोगनविलिया के क्योंकि ये बे...
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