Saturday, September 14, 2019
"श्श्श्श् ....." अब ख़ामोश हो जाता हूँ ... वर्ना ...
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ख़ामोश कर ही दिया जाता है बार-बार चौक-चौराहों पर मिल समझदारों के साथ "हल्ला बोल" का सूत्रधार पर ख़ामोशी भी चुप कहाँ रहती है भला ...
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Friday, September 13, 2019
'वेदर' हो 'क्लाउडी' और ...
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'वेदर' हो 'क्लाउडी' और ... सीताराम चच्चा का 'डाइनिंग टेबल' 'डिनर' के लिए गर्मा-गर्म लिट्टी, चोखा और घी से...
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Thursday, September 12, 2019
"बेनिन" की तरह ...
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"तंजानिया" के "ज़ांज़ीबार" में मजबूर ग़ुलामों से कभी सजने वाले बाज़ार सजते हैं आज भी कई-कई बार कई घरों के आँगनों में, ...
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Saturday, September 7, 2019
एक कॉकटेल है ज़िन्दगी ...
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ऐ ज़िन्दगी ! तू ऊहापोह की गठरी-सी पता नहीं कितनी परायी और ना जाने तू कितनी सगी री ... लगती तो है तू कभी - कभी लियोनार्डो दी विंची की म...
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Friday, September 6, 2019
आचरण का मापदण्ड - ( कहानी / घटना ).
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इसी रचना/घटना का एक अंश :- ●【" पढ़ल-लिखल (पढ़ा-लिखा) के बाते (बात ही) दूसरा है भलुआ के मईया ! गाड़ी-घोड़ा, ए सी- बँगला, चकाचक कपड़ा, गि...
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Monday, September 2, 2019
"एक सवाल पुरखों से" . ( तीज के बहाने - एक कविता ) ...
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अपने सुहाग की दीर्घायु और मंगलकामना करती हुई तीज-त्योहार मनाने के बहाने सम्प्रदाय विशेष की सारी सुहागिनें निभाती हैं पुरखों की परम्परा ...
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Sunday, September 1, 2019
सबक़ (एक कविता).
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अपने घर ... एक कमरे के किसी कोने में उपेक्षित-सा पड़ा अपने स्कूल के दिनों का जर्जर-सा शब्दकोश अपने सात वर्षीय बेटे के लिए मढ़वाने पँहुच...
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