Showing posts with label
सूरज
.
Show all posts
Showing posts with label
सूरज
.
Show all posts
Sunday, August 30, 2020
एक रात उन्मुक्त कभी ...
›
हुआ था जब पहली बार उन्मुक्त गर्भ और गर्भनाल से अपनी अम्मा के, रोया था जार-जार तब भी मैं कमबख़्त। क्षीण होते अपने इस नश्वर शरीर से और होऊँगा ...
10 comments:
Tuesday, December 10, 2019
सूरज से संवाद ...
›
( चूंकि सर्वविदित है कि मैं आम इंसान हूँ .. कोई साहित्यकार नहीं .. अतः इसकी "विधा" आप से जानना है मुझे। प्रतीक्षारत ...) हे स...
4 comments:
Thursday, December 5, 2019
" सूरज आग का गोला है। " (लघुकथा).
›
हमारे भारतीय समाज में परिवार की आदर्श पूर्णता वाले मापदण्ड यानि दो बच्चें - हम दो , हमारे दो - और ऐसे में अगर दोनों में एक तथाकथित मोक्षदात...
8 comments:
›
Home
View web version