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Monday, December 2, 2019
मलिन मन के ...
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बस कुछ माह भर ही .. साल भर में मानो हो किसी मौसम विशेष में जैसे कोयल की कूक बसंत में या मेढकों की टर्रटर्र बरसात में वैसे ही जाड़े की आह...
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Thursday, November 21, 2019
"फ़िरोज़ खान" के बहाने ...
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आज के ग्लोबल दुनिया में किसी भाषा या किसी पहनावा या फिर किसी व्यंजन विशेष पर किसी विशेष जाति, उपजाति या धर्म विशेष वाले का आधिपत्य जैसी सोच...
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Saturday, November 16, 2019
मैल हमारे मन के ...
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ऐ हो धोबी चच्चा ! देखता हूँ आपको सुबह-सवेरे नित इसी घाट पर कई गन्दे कपड़ों के ढेर फ़िंचते जोर से पटक-पटक कर लकड़ी या पत्थर के पाट पर डाल...
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