बंजारा बस्ती के बाशिंदे
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Sunday, April 3, 2022

बाद भी वो तवायफ़ ...

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रंगों या सुगंधों से फूलों को तौलना भला क्या, काश होता लेना फलों का ज़ायका ही जायज़ .. शायद ... यूँ मार्फ़त फूलों के होता मिलन बारहा अपना, पर डा...
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Wednesday, March 30, 2022

तनिक उम्मीद ...

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हो जाती हैं नम चश्म हमारी सुनकर बारहा, जब कभी करतूतें तुम्हारी चश्मदीद कहते हैं .. बस यूँ ही ... हैं हैवानियत की हदें पार करने की यूँ चर्चा,...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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