बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Showing posts with label यादें. Show all posts
Showing posts with label यादें. Show all posts
Monday, June 7, 2021

धाराएँ ...

›
 (1)   धाराएँ नदियों की हों या कानून की, लागू ना हों, यदि सच्चे और  अच्छे ढंग से  तो बेकार हैं .. शायद ... धाराएँ दोनों की ही, कभी  498-ए की...
26 comments:
Wednesday, March 24, 2021

दास्तानें आपके दस्ताने की ...

›
पापा ! ... वर्षों पहले तर्ज़ पर सुपुर्द-ए-ख़ाक के  आपके सुपुर्द-ए-राख होने पर भी, आज भी वर्षों बाद जब कभी भी फिनाईल की गोलियों के या फिर कभी  ...
12 comments:
Saturday, February 13, 2021

वो बचकानी बातें ...

›
दस पैसे का  एक सिक्का जेबख़र्च में  मिलने वाला रोजाना कभी, किसी रोज रोप आते थे बचपन में चुपके से  आँगन के तुलसी चौरे में  सिक्कों के  पेड़ उग ...
8 comments:
›
Home
View web version

About Me

My photo
Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
View my complete profile
Powered by Blogger.