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मन की मीन
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Saturday, December 4, 2021
मन की मीन ...
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खींचे समाज ने रीति-रिवाज के, नियम-क़ानून के, यूँ तो कई-कई लक्ष्मण रेखाएँ अक़्सर गिन-गिन। फिर भी .. ये मन की मीन, है बहुत ही रंगीन ... लाँघ-ला...
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Tuesday, April 21, 2020
मन की मीन ... - चन्द पंक्तियाँ - (२६) - बस यूँ ही ...
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(1) बस यूँ ही ... अक़्सर हम आँसूओं की लड़ियों से हथेलियों पर कुछ लकीर बनाते हैं आहों की कतरनों से भर कर रंग जिनमें उनकी ही तस्वीर सजाते...
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