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Thursday, August 25, 2022
दूब उदासियों की .. बस यूँ ही ...
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(१) सोचों की ज़मीन पर धाँगती तुम्हारी हसीन यादों की चंद चहलकदमियाँ .. उगने ही कब देती हैं भला दूब उदासियों की .. गढ़ती रहती हैं वो तो अनवरत स...
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Tuesday, November 3, 2020
रिश्तों का ज़ायक़ा - चंद पंक्तियाँ - (28) - बस यूँ ही ...
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"रिश्तों का ज़ायक़ा" शीर्षक के अंतर्गत मन में पनपी अपनी रचनाओं की श्रृंखलाओं में से एक - "चंद पंक्तियाँ - (28) - बस यूँ ही ......
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