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फूल
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Sunday, April 3, 2022
बाद भी वो तवायफ़ ...
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रंगों या सुगंधों से फूलों को तौलना भला क्या, काश होता लेना फलों का ज़ायका ही जायज़ .. शायद ... यूँ मार्फ़त फूलों के होता मिलन बारहा अपना, पर डा...
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Saturday, March 27, 2021
सुलग रही है विधवा ...
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गहनों से सजानी थी उसे जो अगर अपनी दुकानें, तो खरा सोना पास अपने यूँ भला रखता क्योंकर? सकारे ही तोड़े गए सारे फूल, चंद पत्थरों के लिए, बाग़ीचा ...
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