गहनों से सजानी थी उसे जो अगर अपनी दुकानें,
तो खरा सोना पास अपने यूँ भला रखता क्योंकर?
सकारे ही तोड़े गए सारे फूल, चंद पत्थरों के लिए,
बाग़ीचा सारा, सारा दिन यूँ भला महकता क्योंकर?
रक़ीब को लगी है इसी महीने जो सरकारी नौकरी,
तो सनम, संग बेरोज़गार के यूँ भला रहता क्योंकर?
गया था सुलझाने जो जाति-धर्म के मसले नासमझ,
तो शहर के मज़हबी दंगे में यूँ भला बचता क्योंकर?
रोका है नदियों को तो बाँध ने बिजली की ख़ातिर पर,
है ये जो सैलाब आँखों का, यूँ भला ठहरता क्योंकर?
बिचड़ा बन ना पाया, जब जिस धान को उबाला गया,
आरक्षण न था, ज्ञानवान आगे यूँ भला बढ़ता क्योंकर?
अब पहुँचने ही वाला है गाँव ताबूत तिरंगे में लिपटा,
सुलग रही है विधवा, चूल्हा यूँ भला जलता क्योंकर?
नाम था पूरे शहर में, वो कामयाब कलाबाज़ जो था,
रस्सियाँ कुतरते रहे चूहे, यूँ भला संभलता क्योंकर?
व्यापारी तो था नामचीन, पर दुकान खोली रोली की
पास गिरजाघर के, व्यापार यूँ भला चलता क्योंकर?
रंग-ओ-सूरत से जानते हैं लोग इंसानों को जहां में,
मन फिर किसी का कोई यूँ भला परखता क्योंकर?
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-03-2021) को "देख तमाशा होली का" (चर्चा अंक-4019) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
रंगों के महापर्व होली और विश्व रंग मंच दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-03-2021) को "देख तमाशा होली का" (चर्चा अंक-4019) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
रंगों के महापर्व होली और विश्व रंग मंच दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज शनिवार २७ मार्च २०२१ को शाम ५ बजे साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
व्यापारी तो था नामचीन,
ReplyDeleteपर दुकान खोली रोली की
पास गिरजाघर के,
व्यापार यूँ भला चलता क्योंकर?
बताओ भला..
आभार..
सादर..
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
वाह!बेहतरीन ।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
वाह , ग़ज़ल का है शेर एक अलग ही रंग लिए , कितने सारे मुद्दे उठा लिए हैं एक ही ग़ज़ल में ।
ReplyDeleteबहुत खूब।
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
( मैं ने कुछ अपनी सोचों/बतकही को शब्दों का शक़्ल दिया भर है, बाक़ी विधा कौन सी है, उस से अनभिज्ञ हूँ .. बस यूँ ही ...)...
उम्दा अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
एक एक शेर गहन भाव लिए हुए
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
प्रभावशाली लेखन - - होली की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
सुन्दर रचना...शुभकामनाएँ
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
बहुत सुंदर ग़ज़ल...आभार...
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
आपकी लिखी कोई रचना सोमवार 29 मार्च 2021 को साझा की गई है ,
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
बहुत प्रभावशाली और सशक्त प्रस्तुति।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Delete