Showing posts with label
छठ
.
Show all posts
Showing posts with label
छठ
.
Show all posts
Tuesday, December 10, 2019
सूरज से संवाद ...
›
( चूंकि सर्वविदित है कि मैं आम इंसान हूँ .. कोई साहित्यकार नहीं .. अतः इसकी "विधा" आप से जानना है मुझे। प्रतीक्षारत ...) हे स...
4 comments:
Thursday, December 5, 2019
" सूरज आग का गोला है। " (लघुकथा).
›
हमारे भारतीय समाज में परिवार की आदर्श पूर्णता वाले मापदण्ड यानि दो बच्चें - हम दो , हमारे दो - और ऐसे में अगर दोनों में एक तथाकथित मोक्षदात...
8 comments:
Thursday, October 31, 2019
सोना के सूप में ... (लघुकथा/कहानी).
›
अभी-अभी घर आकर थाना के बड़ा बाबू अपनी धर्मपत्नी - 'टोनुआ की मम्मी' के हाथों की बनी चाय की चुस्की का आनन्द ले रहे हैं। अक़्सर हम स्था...
12 comments:
›
Home
View web version