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चन्द पंक्तियाँ - (९) - बस यूँ ही ...
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चन्द पंक्तियाँ - (९) - बस यूँ ही ...
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Tuesday, August 13, 2019
चन्द पंक्तियाँ - (९ ) - बस यूँ ही ...
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(1)** शेख़ी बघारता दिनभर किसी जेठ-सा सूरज हो जाएगा जब ओट में शाम के मटमैले चादर के आएगी तब नववधू-सी रात जुगनूओं के टाँके लगे काले प...
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