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गाना
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Tuesday, June 22, 2021
मन-मंजूषा ...
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खींच भी लो हाथ रिश्तों से अगर, मेरी ख़ातिर अपनी तर्जनी रखना। मायूसियों में मैं किसी उदास शाम, मुस्कुरा लूँ, इतनी गुदगुदी करना। जो किसी गीत के...
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Tuesday, December 17, 2019
एक ऊहापोह ...
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था सुनता आया बचपन से अक़्सर .. बस यूँ ही ... गाने कई और कविताएँ भी जिनमें ज़िक्र की गई थी कि गाती है कोयलिया और नाचती है मोरनी भी पर सच...
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