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क्षणिकायें....छोटी छंदमुक्त कविता
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क्षणिकायें....छोटी छंदमुक्त कविता
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Sunday, May 26, 2019
चन्द पंक्तियाँ (१) ... - बस यूँ ही ....
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(1)# उस शाम गाँधी-घाट पर दो दीयों से वंचित रह गई गंगा-आरती जो थी नहीं उस भीड़ में कौतूहल भरी तुम्हारी दो आँखें मुझे निहारती (2)...
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