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Tuesday, November 3, 2020
रिश्तों का ज़ायक़ा - चंद पंक्तियाँ - (28) - बस यूँ ही ...
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"रिश्तों का ज़ायक़ा" शीर्षक के अंतर्गत मन में पनपी अपनी रचनाओं की श्रृंखलाओं में से एक - "चंद पंक्तियाँ - (28) - बस यूँ ही ......
4 comments:
Saturday, January 4, 2020
ये कैसी है दुआ ..
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अम्मा ! सुना है दुनिया वालों से हमेशा कि .. है तुम्हारी दुआ ओं में बहुत असर क्यों लगाती हो मुझे भला फिर तुम काजल का टीका कि .. लग जाएग...
16 comments:
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