सुना है, कि आज शिक्षक दिवस है।
तो ऐसे पावन अवसर पर हमारे समाज के सभी सवैतनिक एवं अवैतनिक शिक्षकों को श्रद्धापूर्वक सादर नमन। परन्तु उन धर्म गुरुओं को तो कतई नहीं, जो हमारे समाज में सदियों से भावी पीढ़ियों के सामने अंधविश्वास एवं पाखण्ड परोसते आ रहे हैं।
यूँ तो सवैतनिक गुरुओं को हम हमारे विद्यालयों, महाविद्यालयों व अन्य शिक्षण संस्थानों में पाते हैं, परन्तु अवैतनिक गुरु तो हमारे जीवन में पग-पग पर, पल-पल में मिलते हैं।
चाहे वो अभिभावक के रूप में हों, सगे-सम्बन्धियों के रूप में हों, सखा-बंधुओं के रूप में हों या प्रेमी-प्रेमिका के रूप में या फिर शत्रु के रूप में।
वैसे तो हम इन दिवसों के पक्षधर कतई नहीं, क्योंकि जो हमारे जीवन की हमारी दिनचर्या में पग-पग पर, पल-पल में शामिल हैं, उन्हें एक दिवस की हद में बाँधना उचित नहीं है .. शायद ...
ख़ैर ! .. ऐसे अवसर पर हम बचपन से कबीर के इस दोहे को दोहराते आएँ हैं, कि ...
" गुरु गोविंद दोउ खङे, काके लागूं पांय,
बलिहारी गुरु आप की, गोविंद दियौ बताय। "
परन्तु कबीर के उस दोहे से हमें हमेशा वंचित रखा गया, जिसमें कबीर आगे कहते हैं, कि ...
" गुरु गोविन्द दोऊ एक हैं, दुजा सब आकार।
आपा मैटैं हरि भजैं, तब पावैं दीदार। "
पुनः सभी सवैतनिक एवं अवैतनिक शिक्षकों को श्रद्धापूर्वक सादर नमन .. बस यूँ ही ...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 5 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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जी ! .. नमन संग आभार आपका .. आज की अपनी प्रस्तुति विशेष में हमारी बतकही को एक हिस्सा बनाने के लिए .. बस यूँ ही ...
Deleteहजूर को ढेर सारी शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं |
ReplyDeleteजी ! .. नमन संग आभार आपका ...
Deleteबढ़िया प्रस्तुति.शिक्षक दिवस की बधाई
ReplyDeleteजी ! .. नमन संग आभार आपका ...
Deleteभावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बधाई सुबोध जी! शिक्षक हमारी नैतिकता का आधार स्तंभ कहे गए हैं। पर पाखण्डी गुरु सत्ता की प्रचंड फसल ने गुरुओं और शिक्षकों की महिमा को धूमिल कर दिया है। पर ये शिक्षक दिवस धर्म प्रचारकों के लिए नहीआपितु अक्षर दाताओं और चरित्र निर्माताओंको समर्पित है। 🙏🙏
ReplyDeleteजी ! .. नमन संग आभार आपका ...
Deleteआज तो गुरुजी वीआईपी हैं, शेर हैं. कल से - पुनर्मूषको भव !
ReplyDeleteजी ! .. नमन संग आभार आपका ...
Deleteसुंदर प्रस्तुति ।कबीर के इस दूसरे दोहे से रू ब रू करवाने के लिए आपका बेहद आभार ।
ReplyDeleteजी ! .. सादर नमन संग आभार आपका ...
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