यूँ तो कहते हैं सब कि
"समुन्दर में
नहा कर तुम
और भी
नमकीन हो गई हो ~~~",
पर पता है कहाँ उन्हें,
कि ..
समुन्दर में कम ..
सनम ...
तुम तो
मेरे नयनों के
खारे पानी वाले
भींजे ख़्वाबों में
भींज-भींज कर ही
तनिक ज्यादा
या तनिक कम
नमकीन हुई हो .. बस यूँ ही ...
ब्लड प्रेशर बढ जायेगा बहुत नमकीन मत सोचिये
ReplyDeleteजी ! .. 😃😃😃
Deleteज़्यादा मीठा भी नहीं सोच सकते ना !
'शुगर' बढ़ने का डर बना रहता है 😢😢
( वैसे तो आपके राज्य की तथाकथित अस्थायी राजधानी में रह रहे हैं, अब स्वास्थ्य में सुधार हो जाए .. शायद ...☺☺☺ ).
नयनों के खारे समंदर में कौन डूबा कौन उबरा ये बात कोई ना जाने तो ही बेहतर!भावपूर्ण और आत्मीय अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 02 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआज तो गज़ब ही नमकीन महसूस करा दिया । अब समंदर की तुलना भी हो सकता है आँखों से ही की गयी होगी ।
ReplyDeleteतेरी आँखों के समंदर का
खारा पानी
डूबो देता है
मेरे पूरे वज़ूद को ,
और लोग हैं कि
समझते हैं
नमकीन हो गयी हूँ
समंदर में नहा कर ।
ये वर्जन नायिका की तरफ से 😄😄😄😄😄
जी ! नमन संग आभार आपका ... आपकी नायिका वाली 'वर्जन' तो लोगों की सोच-समझ के दायरों की कई 'वर्जनाओं ' की ऐसी की तैसी करती प्रतीत हो रही है .. 😀😀😀 .. शायद ...
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (03-08-2022) को "नागपञ्चमी आज भी, श्रद्धा का आधार" (चर्चा अंक-4510) पर भी होगी।
ReplyDelete--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जी ! नमन संग आभार आपका ...
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