बेटा ! सुन लो ना जरा ! ...
मरणोपरांत तस्वीर मेरी टाँगना मत
कभी भी बैठक की किसी ऊँची दीवार पर
मालूम ही है ना तुमको कि.....
ऊँचाइयों से डरता रहा हूँ मैं ताउम्र
पाँव काँपने लगते है अब भी अक़्सर
बहुमंजिली इमारतों से नीचे झाँकने पर
डरा जाते हैं वीडियो भी तो जिनमें होते हैं
ऊँचाइयों पर किए गए करतब कई ...
मत जकड़वाना तस्वीर मेरी किसी भी
चौखटे में कभी चाहे हो वो चौखटा
कितना भी क़ीमती ... क्योंकि बंधन तो
नकारता ही रहा हूँ जन्म भर मैं ... है ना !?
चाहे हो समाज की कुरीतियों का या
फिर अंधपरम्पराओं का बेतुका-सा बंधन
ताबीज़ के बंधन हो या फिर हो चाहे
कोई मौली धागा के आस्था का बंधन
या फिर मुखौटों वाले रिश्तों के बंधन ...
एल्बम में भी मत क़ैद करना तस्वीर मेरी
पता ही है तुमको कि खुले क़ुदरती वातावरण
सदा लुभाते हैं हमको हर सुबह-शाम, हर पल
और हाँ ... पहनाने के लिए तस्वीर पर मेरी
घायल फूलों की माला की तो
सोचना भी ना तुम और ना ही किसी क़ीमती
कृत्रिम फूलों की माला के लिए तुम ...
जीते जी तो बना सका ना कभी
हिन्दू या मुसलमां के भेदभाव से परे
अपनी केवन इंसान वाली तस्वीर
पर...मरणोपरांत पर बस बना देना
मेरा देहदान कर मृत शरीर का
समाज में बस एक इंसान वाली तस्वीर
हाँ ....एक इंसान वाली तस्वीर .....
बेटा ! सुन लो ना जरा !...
मरणोपरांत तस्वीर मेरी टाँगना मत
कभी भी बैठक की किसी ऊँची दीवार पर
मालूम ही है ना तुमको कि.....
ऊँचाइयों से डरता रहा हूँ मैं ताउम्र
पाँव काँपने लगते है अब भी अक़्सर
बहुमंजिली इमारतों से नीचे झाँकने पर
डरा जाते हैं वीडियो भी तो जिनमें होते हैं
ऊँचाइयों पर किए गए करतब कई ...
मत जकड़वाना तस्वीर मेरी किसी भी
चौखटे में कभी चाहे हो वो चौखटा
कितना भी क़ीमती ... क्योंकि बंधन तो
नकारता ही रहा हूँ जन्म भर मैं ... है ना !?
चाहे हो समाज की कुरीतियों का या
फिर अंधपरम्पराओं का बेतुका-सा बंधन
ताबीज़ के बंधन हो या फिर हो चाहे
कोई मौली धागा के आस्था का बंधन
या फिर मुखौटों वाले रिश्तों के बंधन ...
एल्बम में भी मत क़ैद करना तस्वीर मेरी
पता ही है तुमको कि खुले क़ुदरती वातावरण
सदा लुभाते हैं हमको हर सुबह-शाम, हर पल
और हाँ ... पहनाने के लिए तस्वीर पर मेरी
घायल फूलों की माला की तो
सोचना भी ना तुम और ना ही किसी क़ीमती
कृत्रिम फूलों की माला के लिए तुम ...
जीते जी तो बना सका ना कभी
हिन्दू या मुसलमां के भेदभाव से परे
अपनी केवन इंसान वाली तस्वीर
पर...मरणोपरांत पर बस बना देना
मेरा देहदान कर मृत शरीर का
समाज में बस एक इंसान वाली तस्वीर
हाँ ....एक इंसान वाली तस्वीर .....
बेटा ! सुन लो ना जरा !...