(१)* कपूर-बट्टियाँ
यथार्थ की पूजन-तश्तरी में
पड़ी कई टुकड़ों में बँटी
धवल .. निश्चल ..
निःस्पन्दित .. बेबस ..
तुम्हारे तन की कपूर-बट्टियाँ
अनायास भावनाओं की
बहती बयार संग बहती हुई
तुम्हारे मन की कपूरी-सुगन्ध
पल-पल .. निर्बाध .. निर्विध्न ..
घुलती रहती है हर पल ..
निर्विरोध .. निरन्तर ..
मेरे मन की साँसों तक
हो अनवरत सिलसिले जैसे
तुम्हारे तन की कपूर-बट्टियों के
मन की कपूरी-सुगन्ध में
होकर तिल-तिल तब्दील
मेरे मन की साँसों में घुल कर
सम्पूर्ण विलीन हो जाने तक ...
(2)*अक़्सर परिंदे-सी
हर पल ...
मेरे सोचों में
सजी तुम
उतर ही आती हो
अक़्सर परिंदे-सी
पर पसारे
मेरे मन के
रोशनदान से
मेरे कमरे के
उपेक्षित पड़े मेज़ पर
बिखरे कागज़ों पर
और ...
लोग हैं कि ..
बस यूँ ही ...
उलझ जाते हैं
कविताओं के
भाव और बिम्ब में
और तुम ...!!
सच-सच बतलाओ ना !
तुम्हें तो इस बात का
एहसास है ना !??? ...
यथार्थ की पूजन-तश्तरी में
पड़ी कई टुकड़ों में बँटी
धवल .. निश्चल ..
निःस्पन्दित .. बेबस ..
तुम्हारे तन की कपूर-बट्टियाँ
अनायास भावनाओं की
बहती बयार संग बहती हुई
तुम्हारे मन की कपूरी-सुगन्ध
पल-पल .. निर्बाध .. निर्विध्न ..
घुलती रहती है हर पल ..
निर्विरोध .. निरन्तर ..
मेरे मन की साँसों तक
हो अनवरत सिलसिले जैसे
तुम्हारे तन की कपूर-बट्टियों के
मन की कपूरी-सुगन्ध में
होकर तिल-तिल तब्दील
मेरे मन की साँसों में घुल कर
सम्पूर्ण विलीन हो जाने तक ...
(2)*अक़्सर परिंदे-सी
हर पल ...
मेरे सोचों में
सजी तुम
उतर ही आती हो
अक़्सर परिंदे-सी
पर पसारे
मेरे मन के
रोशनदान से
मेरे कमरे के
उपेक्षित पड़े मेज़ पर
बिखरे कागज़ों पर
और ...
लोग हैं कि ..
बस यूँ ही ...
उलझ जाते हैं
कविताओं के
भाव और बिम्ब में
और तुम ...!!
सच-सच बतलाओ ना !
तुम्हें तो इस बात का
एहसास है ना !??? ...
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 28 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी ! मन से आभार आपका ! विलम्बित प्रतिक्रिया के लिए क्षमायाचना के साथ ...
Deleteरूहानी एहसासो और नूतन बिंबविधान से सुसज्जित ,मनभावन रचना सुबोध जी !
ReplyDeleteरचना के लिए कई-कई विशेषणों के आभूषण गढ़ने के लिए आभार आपका ...
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-08-2019) को "चार कदम की दूरी" (चर्चा अंक- 3443) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
नमन शास्त्री जी ! विलम्बित प्रतिक्रिया के लिए क्षमायाचना सहित आभार आपका मेरी रचना को मान देने के लिए ...
Deleteवाह बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसराहना के लिए आभार आपका !
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