बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Saturday, February 5, 2022

खुरपी के ब्याह बनाम क़ैद में वर्णमाला ... भाग-३ (अन्तिम भाग).

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(i) खुरपी के ब्याह में हँसुए का गीत : - अब आज "खुरपी के ब्याह बनाम क़ैद में वर्णमाला ... भाग-३" में गत भाग-२ में साझा किए गए ग्रा...
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Sunday, January 30, 2022

खुरपी के ब्याह बनाम क़ैद में वर्णमाला ... भाग-२

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"खुरपी के ब्याह बनाम क़ैद में वर्णमाला ... भाग-१" वाली बतकही भरे वार्तालाप के लिए अपने-अपने क़ीमती समय को बर्बाद करते हुए अपनी-अपनी...
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Wednesday, January 26, 2022

खुरपी के ब्याह बनाम क़ैद में वर्णमाला ... भाग-१.

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फिर से आज एक बार कुछ बतकही, कुछ इधर की, कुछ उधर की, ऊल-जलूल, फ़िजूल, बेफजूल, बेसिर पैर की, कहीं भी, कुछ भी     .. बस यूँ ही ... कुछ ही दिन पह...
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Sunday, December 5, 2021

तलाश है जारी .. बस यूँ ही ...

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साहिब !!! .. साहिबान !!!!! ... कर दीजिए ना तनिक ..  बस .. एक अदद मदद आप, 'बहुते' (बहुत ही) 'इमरजेंसी' है माई-बाप, दे दीजिए न...
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Saturday, December 4, 2021

मन की मीन ...

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खींचे समाज ने  रीति-रिवाज के, नियम-क़ानून के, यूँ तो कई-कई लक्ष्मण रेखाएँ अक़्सर गिन-गिन। फिर भी .. ये मन की मीन, है बहुत ही रंगीन ... लाँघ-ला...
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Thursday, December 2, 2021

अपनी ठठरी के भी बेचारे ...

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इस सितम्बर-अक्टूबर महीने में अपनी वर्तमान नौकरी के कारणवश एक स्थानविशेष पर रह रहे किराए के मकान वाले अस्थायी निवास को कुछ अपरिहार्य कारणों स...
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Monday, November 29, 2021

एक पोटली .. बस यूँ ही ...

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चहलक़दमियों की  उंगलियों को  थाम , जाना इस शरद पिछवाड़े घर के, उद्यान में भिनसार तुम .. बस यूँ ही ... लाना भर-भर अँजुरी में अपनी, रात भर के  ब...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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