Friday, June 25, 2021
क्यों हैं ये फ़ासले ? ...
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अक़्सर हम ... स्वयं को धर्मनिरपेक्ष बता, सब से यही उम्मीद करते। धर्म के भेदभाव सारे हम मिटाने की हैं बात करते। तो क्यों ना ... मिल कर कभी उर्...
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Tuesday, June 22, 2021
मन-मंजूषा ...
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खींच भी लो हाथ रिश्तों से अगर, मेरी ख़ातिर अपनी तर्जनी रखना। मायूसियों में मैं किसी उदास शाम, मुस्कुरा लूँ, इतनी गुदगुदी करना। जो किसी गीत के...
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Monday, June 21, 2021
आवाज़ दे कहाँ है ...
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आज ही सुबह जब हमारे कॉलेज के जमाने के एक परिचित/मित्र, जो तब भी अच्छे तबलावादक थे और आज भी हैं, की "विश्व संगीत दिवस" की शुभकामना...
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Sunday, June 20, 2021
बहूँगा मैं धमनियों में तुम्हारी ...
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आज की रचना/सोच - "बहूँगा मैं धमनियों में तुम्हारी ..." से पहले आदतन कुछ बतकही करने की ज़्यादती करने के लिए अग्रिम क्षमाप्रार्थी ...
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Wednesday, June 16, 2021
चौथा कंधा ...
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लगभग दो साल पहले :- सन् 2019 ईस्वी। अप्रैल का महीना। शाम का लगभग सात-साढ़े सात बजे का समय। अवनीश अपने घर में शयन कक्ष से इतर एक अन्य कमरे के...
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Friday, June 11, 2021
रक्त साझा ...
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(1) 'मैरिनेटेड' मृत मुर्गे की बोटियों से, बढ़ाते हैं हम, रसोईघर की शोभा। जाते ही फिर शव क्यों अपनों के, धोते हैं भला घर का कोना-...
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Wednesday, June 9, 2021
राजा आप का .. तड़ीपार ... (भाग-४). 【अन्तिम भाग】.
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(१) "कलम आपकी, राजा आप का, अखबार आप का, लिखें, कौन रोक रहा है ? जितना चाहे लिखें।" (२) "उन्हें मोहतरमा इसलिए कह रहा हूँ, क्...
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