Friday, October 25, 2019
आप और आपका उल्लू ... - चन्द पंक्तियाँ - (२०) - बस यूँ ही ...
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(१)# घर-घर चमक रहा सज रहा .. दमक रहा .. पर ... शहर-गाँव की गलियों के हर नुक्कड़ पर बढ़ गया है इन दिनों कूड़े-कचरों का ढेर और .. मुहल्...
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Sunday, October 20, 2019
होठों के 'क्रेटर' से ...
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मन के मेरे सूक्ष्म रंध्रों ... कुछ दरके दरारों ... बना जिनसे मनःस्थली भावशून्य रिक्त .. कुछ सगे-सम्बन्धों से कोई कोना तिक्त जहाँ-जहाँ ज...
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Friday, October 18, 2019
मन को जला कर ...
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माना कि ... बिना दिवाली ही जलाई थी कई मोमबत्तियाँ भरी दुपहरी में भीड़ ने तुम्हारी और कुछ ने ढलती शाम की गोधूली बेला में शहर के उस मशहूर...
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Thursday, October 17, 2019
यार चाँद ! ...
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यार चाँद ! .. बतलाओ ना जरा !... जो है मेरे मन के करीब अपनी प्रियतमा होकर करीब भी मन के जिसके जिसे अक़्सर मैं मना नहीं पाता और बतलाओ ना ...
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Tuesday, October 15, 2019
मुआ चाँद ...
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शरद-पूर्णिमा की सारी-सारी रात चर्चे में था ये मुआ चाँद .. है ना सजन !? ... सुना है वो बरसाता रहा प्रेम-रस .. अमृत-अंश .. जिसे पी सभी ह...
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Saturday, October 12, 2019
प्रेम के तीन आयाम ...
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स्नेह, प्रेम और श्रद्धा हैं तीनों प्रेम के तीन आयाम बचपन, जवानी और बुढ़ापा हैं जैसे जीवन के तीन सोपान या कठोपनिषद् के तथाकथित पात्र नचि...
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भेद का पर्दा
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पर्दा का उठना-गिरना ... गिरना-उठना है एक अनवरत सिलसिला पलकों के उठने-गिरने ... गिरने-उठने जैसा मानो हो दिनचर्या का अंग पर्दा है कभी क़...
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