बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Friday, October 18, 2019

मन को जला कर ...

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माना कि ... बिना दिवाली ही जलाई थी कई मोमबत्तियाँ भरी दुपहरी में भीड़ ने तुम्हारी  और कुछ ने ढलती शाम की गोधूली बेला में शहर के उस मशहूर...
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Thursday, October 17, 2019

यार चाँद ! ...

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यार चाँद ! .. बतलाओ ना जरा !... जो है मेरे मन के करीब अपनी प्रियतमा होकर करीब भी मन के जिसके जिसे अक़्सर मैं मना नहीं पाता  और बतलाओ ना ...
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Tuesday, October 15, 2019

मुआ चाँद ...

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शरद-पूर्णिमा की सारी-सारी रात चर्चे में था ये मुआ चाँद .. है ना सजन !? ... सुना है वो बरसाता रहा प्रेम-रस .. अमृत-अंश .. जिसे पी सभी ह...
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Saturday, October 12, 2019

प्रेम के तीन आयाम ...

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स्नेह, प्रेम और श्रद्धा हैं तीनों प्रेम के तीन आयाम बचपन, जवानी और बुढ़ापा हैं जैसे जीवन के तीन सोपान या कठोपनिषद् के तथाकथित पात्र नचि...
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भेद का पर्दा

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पर्दा का उठना-गिरना ... गिरना-उठना है एक अनवरत सिलसिला पलकों के उठने-गिरने ... गिरने-उठने जैसा मानो हो दिनचर्या का अंग पर्दा है कभी क़...
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Friday, October 11, 2019

बच्चे अब बड़े हो गए हैं !!!

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एक शाम अर्धांगनी की उलाहना - "बच्चे अब बड़े हो गए हैं !!! आपको शर्म नहीं आती क्या !?" मैं घायल मन से - "शर्म ही आती, तो ...
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Thursday, October 10, 2019

बोगनवेलिया-सा ...

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बोगनवेलिया की शाखाओं की मानिंद कतरी गईं हैं हर बार .. बारम्बार .. हमारी उम्मीदें .. आशाएं .. संवेदनाएं .. ना जाने कई-कई बार पर हम भी...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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